आइडिया आॅफ इंडिया बनाम जेहाद
.....................................................................
जब ‘आइडिया आॅफ इंडिया’ के झंडावरदार लोग प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से जेहादियों के साथ हो जाएंगे तो आम जनता क्या करेगी ?
वही करेगी जो काम आज कर रही है।
पर,दूसरी ओर कुछ लोग कह रहे हैं कि जनता
इडिएट है।राष्ट्रवादी है।हिन्दूवादी है।
देश की एकता खतरे में है।
1962,1965 और 1971 की लड़ाइयों के समय भी इस देश की
अधिकतर जनता में वैसी ही भावना पैदा हुई थी जैसी भावना
‘पुलवामा बनाम बालाकोट’ के बाद पैदा हुई।
पर, तब तो किसी ने जनता पर हिन्दूवादी होने का आरोप नहीं लगाया । तब भी नहीं लगाया जब इंदिरा गांधी को दुर्गा कह दिया गया।
दरअसल तब और अब में फर्क यह है कि तब प्रतिपक्ष सहित लगभग सारा देश युद्ध लड़ने वाली सेना और सरकार के साथ थी।
और आज ?
देख ही रहे हैं कि आज क्या हो रहा है !
सिर्फ मध्य युग की कलंक कथाएं याद आ रही हैं।
.....................................................................
जब ‘आइडिया आॅफ इंडिया’ के झंडावरदार लोग प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से जेहादियों के साथ हो जाएंगे तो आम जनता क्या करेगी ?
वही करेगी जो काम आज कर रही है।
पर,दूसरी ओर कुछ लोग कह रहे हैं कि जनता
इडिएट है।राष्ट्रवादी है।हिन्दूवादी है।
देश की एकता खतरे में है।
1962,1965 और 1971 की लड़ाइयों के समय भी इस देश की
अधिकतर जनता में वैसी ही भावना पैदा हुई थी जैसी भावना
‘पुलवामा बनाम बालाकोट’ के बाद पैदा हुई।
पर, तब तो किसी ने जनता पर हिन्दूवादी होने का आरोप नहीं लगाया । तब भी नहीं लगाया जब इंदिरा गांधी को दुर्गा कह दिया गया।
दरअसल तब और अब में फर्क यह है कि तब प्रतिपक्ष सहित लगभग सारा देश युद्ध लड़ने वाली सेना और सरकार के साथ थी।
और आज ?
देख ही रहे हैं कि आज क्या हो रहा है !
सिर्फ मध्य युग की कलंक कथाएं याद आ रही हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें