शुक्रवार, 16 अगस्त 2019

इतिहास के पन्नों से 
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   इमरजेंसी लगाने का निर्णय सिर्फ इंदिरा गांधी का था
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शाह आयोग ने कहा था कि देश में इमरजेंसी लगाने का निर्णय केवल प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी का था।
  आपातकाल--1975-77-- में ज्यादतियों की जांच के लिए मोरारजी देसाई सरकार ने मई, 1977 में जे.सी.शाह के नेतृत्व में आयोग बनाया था।
शाह सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके थे।
 आयोग ने 1978 में पेश अपनी अंतरिम रपट में कहा था कि
‘वैसे गृह मंत्री ब्रह्मानंद रेड्डी से भी कोई सलाह मशविरा नहीं किया गया।
राष्ट्रपति को इमरजेंसी लगाने का परामर्श भेजने से पहले रेड्डी को सिर्फ सूचना दे दी गई थी।
रेड्डी का सहयोग उनसे सिर्फ पत्र को प्राप्त करने के लिए लिया गया क्योंकि उद्घोषणा के मसविदे को औपचारिक रूप से राष्ट्रपति को गृह मंत्रालय ही भेज सकता था।’ 
  --अंतरिम रपट पेज संख्या-37
इस संबंध में प्रधान मंत्री के संयुक्त सचिव बिशन टंडन ने 26 जून 1975 को अपनी डायरी में लिखा,
‘कल रात दस बजे प्रधान मंत्री ने प्रो.धर और शारदा को अपने निवास स्थान पर बुलाया।वहां बरूआ और सिद्धार्थ पहले से उपस्थित थे।
‘जब प्रो.धर और शारदा पहुंचे तो प्रधान मंत्री ने कहा कि ‘आई हैव डिसाइडेड टु डिक्लेयर इमर्जेंसी।
प्रेजीडेंट हैज एग्रीड।
आई विल इन्फार्म द कैबिनेट टुमारो।’
यह कहते हुए आपातकाल की घोषणा का प्रारूप प्रो.धर के हाथ में रख दिया।’ 

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