रविवार, 15 दिसंबर 2019

नेहरू पर मथाई की चर्चित पुस्तक अमेजन पर
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जवाहरलाल नेहरू के 13 साल-- तक निजी सचिव रहे 
एम.ओ.मथाई ने दो संस्मरणात्मक पुस्तकें लिखी हैं।
आजादी के बाद का वे भारत और यहां के प्रमुख नेताओं का सच्चा इतिहास है।
वैसी किताब लिखने के लिए बहुत साहस चाहिए।
जब छपकर आई थी तो खुशवंत सिंह ने कहा था कि ‘‘मथाई को चैराहे पर कोड़े लगाए जाने चाहिए।’’
इस संबंध में दो राय हैं कि निजी सचिव को अपने बाॅस की भीतरी बातें लिख देनी चाहिए या नहीं ?क्या लिखना विश्वास भंग है ?
अरूण शौरी ने अस्सी के दशक में कर्नाटका के तत्कालीन मुख्य मंत्री गुंडूराव से हुई निजी बातचीत को अंग्रेजी साप्ताहिक संडे में इंटरव्यू के रूप में छपवा दिया था।
गुंडूराव ने कहा कि यह धोखा है।
शौरी ने जवाब दिया  कि वे मेरे रिश्तेदार तो थे नहीं जो वे मुझसे निजी बातें कर रहे थे !
दूसरी ओर, मथाई ने कहा कि नेहरू के यहां मैं नौकरी मांगने नहीं गया था।सन 1946 में उन्होंने मुझे बुलाकर रखा था।
मथाई कहना चाहता था कि नेहरू देश के साथ क्या अच्छा -बुरा कर रहे थे ,यह लोगों को बताना नागरिक के रूप में मेरा कत्र्तव्य है। 
स्वाभाविक है कि मथाई की किताब प्रतिबंधित हो जाए।
वे भारत में हो भी चुकी हैं।
इसलिए कि नंगी सच्चाई कोई भी शासक बर्दाश्त नहीं कर सकता।
  भारत में प्रतिबंधित है,किन्तु लगता है कि विदेश में छप रही हैं।
खबर है कि एमेजन उसकी मार्केटिंग कर रहा है।
पुस्तकों के नाम हैं-
1-नेहरू युग-जानी अनजानी बातें और
 2-नेहरू के साथ तेरह वर्ष।
किताब मूलतः अंग्रेजी में लिखी गईं।
देश की अधिकतर भाषाओं में अनुदित हुईं।
1978 में जब मैंने खरीदी थीं तो उनकी कीमत बहुत कम थी।
अब 400 रुपए है।
पर, एक पाठक के अनुसार अमेजन ने एक किताब के लिए 3 हजार रुपए लिए।
वह भी किताब की फोटोकाॅपी है।
  मेरी समझ से अपने देश की दुर्दशा के असली कारणों को जिन्हें जानना हो,वे मथाई की उन किताबों को जरूर पढ़ें।
मिल जाए तो फोटोकाॅपी ही सही।
महंगा नहीं पड़ेगा।
  असली कारण नहीं जानिएगा तो उन कारणों को मिटाने की कोशिश कैसे करिएगा ?
हां,जो लोग खुले दिमाग के हैं,सिर्फ वही पढ़ें।
भक्त लोगों को निराशा होगी।
 हालांकि मथाई ने पुस्तकों में नेहरू की सिर्फ आलोचना ही नहीं की है।
उनके बहुत से महान व विरल गुणों की भी चर्चा की है।
  बात तब की है जब मथाई जीवित था।
तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जार्ज फर्नांडिस ने नेहरू की आलोचना में एक बयान दिया था।
 उस पर मथाई ने गुस्से में आकर कहा कि ‘‘नेहरू के जूते के फीते बांधने की नौकरी करने की योग्यता भी फर्नांडिस में नहीं है।वह क्या नेहरू की आलोचना करेगा ?’’
  यह और बात है कि मथाई जार्ज को पूरा नहीं जानता था।
मैं फर्नांडिस के गुण-अवगुण कुछ अधिक जानता हूं।
कुल मिलाकर जार्ज अपने अनेक समकालीन नेताओं की अपेक्षा अधिक ईमानदार,साहसी और देशभक्त था।
  जार्ज फर्नांडिस पर मुम्बई के मशहूर पत्रकार नीलू दामले  प्रामाणिक किताब लिख रहे हंै।
उनके साथ काम भी कर चुके हैं।
उस किताब की तैयारी के लिए नीलू बिहार भी आए थे।
संभवतः वह किताब तैयार हो गई होगी।
पर अफसोस है कि वह किताब अभी सिर्फ मराठी में है।
कोई हिन्दी -अंग्रेजी प्रकाशक चाहे तो वह नीलू दामले से संपर्क कर सकता है।गैर मराठी पाठकों का कल्याण होगा।
  

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