रविवार, 22 दिसंबर 2019

चहारदीवारी ,दरवाजा और अंधा !
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पहले गलती की और बाद में पछताए।
इस देश के इतिहास में नाजुक मोड़ जब-जब आए,
उनमें से अधिकतर ऐतिहासिक अवसरों पर 
कुछ दलों ,नेताओं और समूहों ने पहले गलतियां  कीं 
और बाद में पछतावा किया।
कुछ ने लिखकर, कुछ ने बोलकर और कुछ ने प्रस्ताव 
तक पास करके पछताया।
  आजादी की लड़ाई से लेकर आज तक ऐसा होता
 रहा है।
आज के ऐतिहासिक अवसर पर भी कुछ दल,नेता और 
समूह वही सब कुछ दुहरा रहे हंै।
संभवतः कल वे भी पछताएंगे।
पर, तब तक उनके खेत को चिडि़या चुग चुकी होगी।
खुशी की बात है कि इस देश के अधिकतर लोग 
अधिकतर अवसरों पर सही रहे।
--सुरेंद्र किशोर--22 दिसंबर 2019

    

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