चैधरी चरण सिंह की याद में
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पूर्व प्रधान मंत्री चैधरी चरण सिंह का कल जन्म दिन था।
उन्हें कुछ बातों के लिए याद रखा जाएगा।
1.-आरक्षण का आधार जाति बनाने के बदले वे चाहते थे कि किसानों की संतान के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण हो।
2.-चैधरी साहब पूंजीपतियों से पैसे नहीं लेते थे।
धनी किसान उन्हेेंे मदद करते थे।
उनके चुनाव में कोई खास खर्च भी नहीं हेाता था।
3.- चरण सिंह जब प्रधान मंत्री थे तो राजनाराण जी यानी ‘नेता जी’ उनके बड़े करीबी थे।
उन दिनों यह खबर आई थी कि देश के एक पूंजीपति नेता जी के यहां गए थे।
उनसे कहा कि हमारे हिन्दी अखबार के लिए कोई संपादक आपके ध्यान में हो तो बताइए।
राजनारायण जी उद्देश्य समझ गए।
उन्होंने कहा कि मेरे पास कोई नाम नहीं हैं
ऐसा इसलिए कह दिया क्योंकि चैधरी साहब तो सेठ जी की कोई पैरवी सुुनेंगे नहीं।
उन दिनों दिनमान और धर्मयुग के कारण समाजवादी विचारधारा के अनेक पत्रकार मुख्य धारा की पत्रकारिता में थे।
जनसंघ से जुड़े उतने पत्रकार मुख्य धारा में तब नहंी थे।
कुछ समाजवादी पत्रकार बड़े पद के आकांक्षी थे।
वे मन ही मन नेता जी से नाराज भी हो गए।
उनको लगा कि हमारी आगे की राह रोक ली गई।
4.-चरण सिंह कहते थे कि यदि उद्योग को बढ़ावा देना हो तो पहले कृषि को बढ़ावा दो।
क्योंकि देश की अधिकतर आबादी यानी कृषक की आय जब तक नहीं बढ़ेगी, तब तक करखनिया माल खरीदेगा कौन ?
नहीं खरीदेगा तो कारखाने चलेंगे कैसे ?
5.-चरण सिंह ने राजनीति को रुपया कमाने का जरिया नहीं बनाया।
6.-कुछ कमियां चैधरी साहब में भी थीं।
पर थोड़ी -बहुत कमी तो हर मनुष्य में होती है।
उनकी कमियों पर उनके गुण हावी थे।
फिर भी मेरा मानना है कि उन्हें देखने का अनेक बुद्धिजीवियों का नजरिया पूर्वाग्रहग्रस्त ही रहा ।
सुरेंद्र किशोर--23 दिसंबर 2019
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पूर्व प्रधान मंत्री चैधरी चरण सिंह का कल जन्म दिन था।
उन्हें कुछ बातों के लिए याद रखा जाएगा।
1.-आरक्षण का आधार जाति बनाने के बदले वे चाहते थे कि किसानों की संतान के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण हो।
2.-चैधरी साहब पूंजीपतियों से पैसे नहीं लेते थे।
धनी किसान उन्हेेंे मदद करते थे।
उनके चुनाव में कोई खास खर्च भी नहीं हेाता था।
3.- चरण सिंह जब प्रधान मंत्री थे तो राजनाराण जी यानी ‘नेता जी’ उनके बड़े करीबी थे।
उन दिनों यह खबर आई थी कि देश के एक पूंजीपति नेता जी के यहां गए थे।
उनसे कहा कि हमारे हिन्दी अखबार के लिए कोई संपादक आपके ध्यान में हो तो बताइए।
राजनारायण जी उद्देश्य समझ गए।
उन्होंने कहा कि मेरे पास कोई नाम नहीं हैं
ऐसा इसलिए कह दिया क्योंकि चैधरी साहब तो सेठ जी की कोई पैरवी सुुनेंगे नहीं।
उन दिनों दिनमान और धर्मयुग के कारण समाजवादी विचारधारा के अनेक पत्रकार मुख्य धारा की पत्रकारिता में थे।
जनसंघ से जुड़े उतने पत्रकार मुख्य धारा में तब नहंी थे।
कुछ समाजवादी पत्रकार बड़े पद के आकांक्षी थे।
वे मन ही मन नेता जी से नाराज भी हो गए।
उनको लगा कि हमारी आगे की राह रोक ली गई।
4.-चरण सिंह कहते थे कि यदि उद्योग को बढ़ावा देना हो तो पहले कृषि को बढ़ावा दो।
क्योंकि देश की अधिकतर आबादी यानी कृषक की आय जब तक नहीं बढ़ेगी, तब तक करखनिया माल खरीदेगा कौन ?
नहीं खरीदेगा तो कारखाने चलेंगे कैसे ?
5.-चरण सिंह ने राजनीति को रुपया कमाने का जरिया नहीं बनाया।
6.-कुछ कमियां चैधरी साहब में भी थीं।
पर थोड़ी -बहुत कमी तो हर मनुष्य में होती है।
उनकी कमियों पर उनके गुण हावी थे।
फिर भी मेरा मानना है कि उन्हें देखने का अनेक बुद्धिजीवियों का नजरिया पूर्वाग्रहग्रस्त ही रहा ।
सुरेंद्र किशोर--23 दिसंबर 2019
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