गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

शाही इमाम को मालूम है ‘जन्नत की हकीकत’
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दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा है कि 
नागरिक संशोधन कानून का भारतीय मुसलमानों से कुछ लेना -देना नहीं है।इसलिए वे संयम बरतें।
दूसरी ओर, पूरे देश के लिए एन.आर.सी.कानून अभी बना ही नहीं है।
    संभवतः शाही इमाम इस बात को समझ गए हैं कि मौजूदा हिंसक आंदोलन ,सामान्य आंदोलन नहीं, बल्कि जेहाद है।
इससे भाजपा को ही अंततः राजनीतिक और चुनावी फायदा होगा।
वह शायद यह भी समझ गए हैं कि आज का भारत 1947 का भारत नहीं है।
यहां की सेना अब बहुत मजबूत और साधन संपन्न है।
आम हिन्दुओं में भी इस बीच जागरूकता बढ़ी है।
दूसरी ओर, मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा अब भी सिमी,
आई.एम. और पाॅपुलर फं्रट आॅफ इंडिया के प्रभाव से दूर है।
  जिस तरह ओवैसी, आइ.एस.के खिलाफ हैं,उसी तरह शाही इमाम मौजूदा हिंसक आंदोलनकारियों के खिलाफ हैं।
अरविंद केजरीवाल भी घबराए हुए हैं।उन्होंने आशंका जाहिर की है कि ऐसे आंदोलन से ‘आप’ को नुकसान हो सकता है।
  इस बीच दो बातें और हुई हैं।
खबर आ रही है कि कश्मीर में 370 और 35 ए को स्थगित किए जाने और राज्य के बंटवारे के बाद वहां के स्थानीय जेहादियों की हालत वही हो गई है जो हालत 1971 की हार के तत्काल बाद पाकिस्तान की हो गई थी।
 गत अक्तूबर में बगदादी पर जब अमरीकी टुकड़ी का हमला हुआ तो वह गिड़गिडाते हुए प्राण की भीख मांग रहा था।चूंकि उसने किसी को कभी ऐसी भीख नहीं दी,इसलिए उसे भी नहीं मिली।
 याद रहे कि जबकि खुद बगदादी जेहाद के लिए खुशी- खुशी जान दे देने के लिए दुनियां के मुसलमानों को  उकसाता रहा।  
--सुरेंद्र किशोर 19 दिसंबर 19

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