मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

   दस साल में ही पुल क्षतिग्रस्त, 
   अंग्रेजों का बनाया पुल सही सलामत
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29 दिसंबर, 2019 के दैनिक जागरण में प्रकाशित 
इस खबर की आखिरी दो लाइनें पढि़ए--
‘‘क्षतिग्रस्त पुल लगभग दस साल पहले निर्मित हुआ है।
इससे सौ मीटर की दूरी पर अंग्रेजों का बनाया पुल आज भी सही सलामत है।’’
   यह हमारे सिस्टम में लगे घुन का जीता-जागता नमूना है।
  इस पुल के निर्माण के लिए आबंटित फंड में जो लूट हुई होगी,उसके बारे में अनेक लोग जानते -समझते हैं।
  उन लुटेरे अपराधियों का तो अंततः कुछ बिगड़ने वाला है नहीं।
हां, कोई खबरखोजी पत्रकार उस निर्माण में लगे ठेकदार और अफसरों के नाम जाहिर कर देता तो लोगों को संतोष होता।
कहीं मिलने पर शायद कोई नौजवान उसके मुंह पर स्याही फेंक सकता !! 
   कुछ ही साल पहले उत्तराखंड के मुख्य मंत्री ने नेशनल हाईवे घोटाले की जांच का भार सी.बी.आई.को सौंपा तो केंद्रीय मंंत्री नाराज हो गए।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार मंत्री ने मुख्य मंत्री को लिखा कि इससे एन.एच.के अफसरों में पस्तहिम्मती आएगी।
पता नहीं ,अंततः उस केस का क्या हुआ ! 
 31 दिसंबर 2019

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