बुधवार, 4 दिसंबर 2019

     पिता को समझने में लगते हैं साठ साल  
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एक मशहूर चीनी लोककथा अपने देश के लिए भी मौजूं है। 
यह पिता-पुत्र के संबंध के बारे में है। 
इसमें इस बात का चित्रण किया गया है कि एक पुत्र अपने पिता के बारे में उम्र के अलग-अलग पड़ाव में कैसी राय रखता है।
किस तरह पिता को समझने में पुत्र को साठ साल लग जाते हैं। तब तक देर हो चुकी होती है।
 चार वर्ष - मेरे पापा महान हैं।
छह वर्ष -- मेरे पापा सब कुछ जानते हैं। वे सबसे होशियार हैं।
दस वर्ष - मेरे पापा अच्छे हैं, पर गुस्से वाले हैं।
12 वर्ष- मैं जब छोटा था तो पापा मेरे साथ अच्छा व्यहार करते थे।
16 साल - मेरे पापा वर्तमान समय के साथ नहीं चलते। सच पूछो तो उनको कुछ भी ज्ञान नहीं है।
18 साल--मेरे पापा दिनों दिन चिड़चिडे़ और अव्यावहारिक होते जा रहे हैं।
20 साल--ओ हो .....अब तो पापा के साथ रहना ही असहनीय हो गया है। मालूम नहीं, मम्मी इनके साथ कैसे रह पाती हैं।
25 साल -मेरे पापा हर बात में मेरा विरोध करते हैं। कौन जाने कब वे दुनिया को समझ पाएंगे ?
30 साल -मेरे छोटे बेटे को संभालना मुश्किल होता जा रहा है। बचपन में मैं अपने पापा से कितना डरता था !
40 साल - मेरे पापा ने मुझे कितने अनुशासन से पाला था। आजकल के लड़कों में तो कोई अनुशासन और शिष्टाचार ही नहीं है।
50 साल - मुझे आश्चर्य होता है ,मेरे पापा ने कितनी मुश्किलें झेलकर हम चार भाई-बहनों को बड़ा किया। आजकल तो एक संतान को ही बड़ा करने में दम निकल जाता है।
55 साल - मेरे पापा कितनी दूर दृष्टि वाले थे। उन्होंने हम सभी भाई -बहनों के लिए कितना व्यवस्थित आयोजन किया था। आज वृद्धावस्था में भी वे संयमपूर्ण जीवन जी सकते हैं।
60 साल - मेरे पापा महान थे। वे जिंदा रहे, तब हम सब का पूरा ख्याल रखा।
सच तो यह है कि पापा को अच्छी तरह समझने में पुत्र को पूरे 60 साल लग गए।
कृपया आप अपने पापा को समझने में इतने वर्ष मत लगाना। समय से चेत जाना। पिता की महानता को समझ लेना।

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