ताजा इतिहास से भी नहीं सीखते कुछ लोग
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‘‘मेरी सुरक्षा छोटी बात हैं।’’
सुरक्षा संबंधी प्रोटोकल के उलंघन के उन पर आरोप के बारे में जब पूछा गया तो प्रियंका गांधी का यही जवाब था।
लगता है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने सुरक्षा से संबंधित पिछली चूकों और उनके भयंकर परिणामों से कुछ नहीं सीखा।
याद रहे कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की जो जानें गईं थीं, उन दुखद घटनाओं के पीछे भी ऐसी ही चूकें थीं।
चूकें उनकी खुद की थीं।
प्रियंका से अधिक तो राहुल सुरक्षा नियमों उलंघन करते रहे हैं।
जिस बात को प्रियंका छोटी बात कह रही हैं,यदि कोई बड़ी घटना हो जाए तो क्या वह छोटी ही बात रह जाएगी ?
क्या देश भी उसका खामियाजा नहीं भुगतेगा ?
1984 में सिख संहार के रूप में देश ने तो भुगता था।
अकाल तख्त पर कार्रवाई के बाद आम सिखों की भावना आहत हुई थी।
कुछ अतिवादी सिख प्रधान मंत्री की जान के प्यासे हो गए थे।
खुफिया सूत्रों ने आगाह किया।
सुरक्षा काम मेंं लगे अफसरों ने प्रधान मंत्री के आवास से सिख संतरियों को हटा दिया।
पर जब इंदिरा गांधी को पता चला तो उन्होंने दुबारा सिख सुरक्षाकर्मियों को ड्यूटी पर लगवा दिया।
उन्हीं सुरक्षाकर्मियों ने प्रधान मंत्री की जान ले ली।
अब राजीव गांधी का हाल जानिए।
तमिलनाडु के श्रीपेरूम्बुदूर की सभा में भारी भीड़ थी।
धनु यानी मानव बम राजीव गांधी के करीब जाने की कोशिश कर रही थी।
वहां तैनात सतर्क महिला अफसर ने उसे एकाधिक बार रोका।
दूर से राजीव गांधी ने एक लड़की को रोके जाते देखा।
राजीव ने उस अफसर को निदेश दिया कि उसे आने दो।
उसने जाने दिया।
उसने राजीव की जान ले ली।
आश्चर्य है कि जानबूझ कर लगातार सुरक्षा नियम तोड़ने वाले इस परिवार ने अपनी पारिवारिक विपत्ति से भी नहीं सीखा।
एक तरफ वे लोग एस.पी.जी.से वंचित किए जाने पर आसमान सर पर उठाते हैं,दूसरी तरफ यह हाल है कि प्रियंका स्कूटर की पिछली सीट पर बैठ कर कहीं चल देती हैं !!
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सुरेंद्र किशोर--30 दिसंबर 2019
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‘‘मेरी सुरक्षा छोटी बात हैं।’’
सुरक्षा संबंधी प्रोटोकल के उलंघन के उन पर आरोप के बारे में जब पूछा गया तो प्रियंका गांधी का यही जवाब था।
लगता है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने सुरक्षा से संबंधित पिछली चूकों और उनके भयंकर परिणामों से कुछ नहीं सीखा।
याद रहे कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की जो जानें गईं थीं, उन दुखद घटनाओं के पीछे भी ऐसी ही चूकें थीं।
चूकें उनकी खुद की थीं।
प्रियंका से अधिक तो राहुल सुरक्षा नियमों उलंघन करते रहे हैं।
जिस बात को प्रियंका छोटी बात कह रही हैं,यदि कोई बड़ी घटना हो जाए तो क्या वह छोटी ही बात रह जाएगी ?
क्या देश भी उसका खामियाजा नहीं भुगतेगा ?
1984 में सिख संहार के रूप में देश ने तो भुगता था।
अकाल तख्त पर कार्रवाई के बाद आम सिखों की भावना आहत हुई थी।
कुछ अतिवादी सिख प्रधान मंत्री की जान के प्यासे हो गए थे।
खुफिया सूत्रों ने आगाह किया।
सुरक्षा काम मेंं लगे अफसरों ने प्रधान मंत्री के आवास से सिख संतरियों को हटा दिया।
पर जब इंदिरा गांधी को पता चला तो उन्होंने दुबारा सिख सुरक्षाकर्मियों को ड्यूटी पर लगवा दिया।
उन्हीं सुरक्षाकर्मियों ने प्रधान मंत्री की जान ले ली।
अब राजीव गांधी का हाल जानिए।
तमिलनाडु के श्रीपेरूम्बुदूर की सभा में भारी भीड़ थी।
धनु यानी मानव बम राजीव गांधी के करीब जाने की कोशिश कर रही थी।
वहां तैनात सतर्क महिला अफसर ने उसे एकाधिक बार रोका।
दूर से राजीव गांधी ने एक लड़की को रोके जाते देखा।
राजीव ने उस अफसर को निदेश दिया कि उसे आने दो।
उसने जाने दिया।
उसने राजीव की जान ले ली।
आश्चर्य है कि जानबूझ कर लगातार सुरक्षा नियम तोड़ने वाले इस परिवार ने अपनी पारिवारिक विपत्ति से भी नहीं सीखा।
एक तरफ वे लोग एस.पी.जी.से वंचित किए जाने पर आसमान सर पर उठाते हैं,दूसरी तरफ यह हाल है कि प्रियंका स्कूटर की पिछली सीट पर बैठ कर कहीं चल देती हैं !!
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सुरेंद्र किशोर--30 दिसंबर 2019
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