सोमवार, 9 दिसंबर 2019

1979-80 में भागल पुर पुलिस ने 31 अपराधियों को अंधा करके जेल भेज दिया था।
वे आदतन अपराधी थे और बार -बार मिल रही जमानत पर जेल से लौट -लौटकर भीषण अपराध कर रहे हैं जिसमें बलात्कार भी शामिल था।
  पुलिस ने थक हार कर उन्हें अंधा कर दिया।
 तब के नामी पत्रकार अरूण सिन्हा-इंडियन एक्सपे्रस --और एस.एन.एम.आबदी-साप्ताहिक संडे-तथा चर्चित  फोटोग्राफर के.एम.किशन ने अंधाकरण का भंडाफोड़ किया।
  जब पुलिस पर कार्रवाई शुरू हुई तो जनता पुलिस के पक्ष में भागलपुर की सड़कों पर आ गई।वहां के सांसद भागवत झा आजाद ने जनता के जुलूस का नेतृत्व किया।
   आज हैदराबाद पुलिस के साथ पूरे देश की अधिकतर जनता खड़ी है।
उस पुलिस के साथ जिसके साथ मुंठभेड़ में   
चार बलात्कारी मारे गए।
  मैं नहीं जानता कि मुंठभेड़ नकली थी या असली।
पर लगता है कि तारीख-पर- तारीख वाली न्यायिक व्यवस्था से ऊबी अधिकतर जनता को इस असली-नकली की बहस से कोई मतलब नहीं है ।
उसे त्वरित न्याय चाहिए। 
  अब सवाल है कि अंधाकरण की घटना के चार दशक बीत जाने के बाद भी समय पर न्याय दिलाने की व्यवस्था करने के लिए मानवाधिकार कार्यकत्र्ताओं और हैदरा बाद मुंठभेड़ के विरोधियों ने कितना अभियान चलाया ?
  आगे भी नहीं चलाएंगे।
इसलिए भागलपुर और हैदराबाद कांड होते रहेंगे और पुलिस जनता की वाहवाही लूटती रहेगी।
2019

   
   
  

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