बुधवार, 25 दिसंबर 2019

चाहे व्यक्ति का जीवन हो या देश का ।
कभी -कभी संकट आना ही चाहिए !!
अपन-पराए आसानी से पहचान लिए जाते हैं।
जिन लोगों ने मध्यकालीन भारत की सच्ची कहानियां नहीं जानी-पढ़ी हैं,उन्हें अब कोई अफसोस नहीं होना चाहिए।
वे इन दिनों सजीव देख सकते हैं।
  मध्य काल का सच्चा इतिहास किताबों के अधिक दंत कथाओं में है।
  कहते हैं कि हमारे कतिपय इतिहासकारों ने तो लिखा कम , छिपाया अधिक !
सुरेंद्र किशोर--25 दिसंबर 2019

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