श्रीलाल शुक्ल की ‘राग दरबारी’
का एक पात्र कहता है--
..........................................
‘‘देखो, देखो, कौन -सा शब्द है -हां,हां,याद आया
--कहलाते हैं बुद्धिजीवी।
तो हालत यह है कि हैं तो बुद्धिजीवी ,पर विलायत का एक चक्कर लगाने के लिए यह साबित करना पड़ जाए कि हम अपने बाप की औलाद नहीं हैं तो साबित कर देंगे।
चैराहे पर दस जूते मार लो,पर एक बार अमेरिका भेज दो--ये हैं बुद्धिजीवी !’’
वैसे बुद्धिजीवियों का ताजा हाल क्या है !!! ?
है कोई आज का ‘श्रीलाल शुक्ल’ कि यह भी हमें बता दे ?
का एक पात्र कहता है--
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‘‘देखो, देखो, कौन -सा शब्द है -हां,हां,याद आया
--कहलाते हैं बुद्धिजीवी।
तो हालत यह है कि हैं तो बुद्धिजीवी ,पर विलायत का एक चक्कर लगाने के लिए यह साबित करना पड़ जाए कि हम अपने बाप की औलाद नहीं हैं तो साबित कर देंगे।
चैराहे पर दस जूते मार लो,पर एक बार अमेरिका भेज दो--ये हैं बुद्धिजीवी !’’
वैसे बुद्धिजीवियों का ताजा हाल क्या है !!! ?
है कोई आज का ‘श्रीलाल शुक्ल’ कि यह भी हमें बता दे ?
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