रविवार, 29 दिसंबर 2019

दोहरे मापदंड की पराकाष्ठा
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           दृश्य -1
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16 नवंबर, 2019 के न्यूयार्क टाइम्स के अनुसार चीन के 
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि 
‘‘इस्लामिक कट्टरवाद एक ड्रग की तरह है।’’
राष्ट्रपति ने सभी अफसरों से कहा है कि ‘‘इस्लामिक आतंकियों से निपटने के लिए तानाशाही रवैया अपनाएं।’’
   चीन के उइगर मुसलमानों को डिटेंशन सेंटर्स में मिल रही प्रताड़नाओं पर न्यूयार्क टाइम्स ने सनसनीखेज रपट छापी है।
  वैसे उस तरह की खबर भारत में पहले से पहुंचती रही है।
  पर यहां का कोई ‘‘सेक्युलर’’ नेता,लेखक,पत्रकार या  बुद्धिजीवी यह आरोप नहीं लगाता कि चीन में ‘हान’-जाति के वर्चस्व को कायम करने या रखने के लिए वहां की सरकार यह सब कर रही है जैसा आरोप वे मोदी सरकार और आर.एस.एस. पर आए दिन लगाते रहते हैं। 
याद रहे कि चीन में सबसे बड़ी आबादी हान जाति की है।
याद रहे कि जिन शियांग प्रांत के मुसलमान हथियारों के बल पर इस्लामिक शासन कायम करने के लिए प्रयत्नशील हैं।
इस उद्देश्य से वे भारी मारकाट कर चुके हैं।
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पर, ऐसे मामलों में भारत कहां  है  ????
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यहां आतंकियों के पक्ष में कुछ समूह क्या -क्या नाटक कर रहे हैं ,सब देख -समझ रहे हैं।
 सिमी जैसा जेहादी संगठन अखबारों में बयान देकर यह घोषणा करता है कि ‘‘हम हथियारों के बल पर भारत में इस्लामिक शासन कायम करना चाहते हैं।’’-टाइम्स आॅफ इंडिया--2001
इस देश में हुई हाल की भीषण हिंसा में सिमी और पी.एफ.आई.की संलिप्तता सामने आई है।
उसके कुछ सदस्य  गिरफ्तार भी हुए हैं।
पर क्या किसी ‘सेक्युलर’ नेता ने सिमी या पी.एफ.आई. के खिलाफ एक शब्द मुंह से निकाला ?  
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     दृश्य-2
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अमेरिकी संसद ने इस साल जनवरी में मैक्सिको सीमा पर दीवार बनाने के लिए बजट उपलब्ध नहीं कराया तो राष्ट्रपति टं्रप ने देशहित में आपातकाल लगाकर बजट निकाल लिया।
टं्रप  घुसपैठ निरोधक योजना को पूरा करने के लिए तीन अरब डालर जुटा चुके हैं।
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टं्रप की इस कार्रवाई को ‘‘उग्र राष्ट्रवाद’’ की संज्ञा दी गई ?
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पर भारत मंे ???
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यहां से करोड़ों बंगलादेशी घुसपैठियों को निकाल बाहर करने के लिए भारत सरकार राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर तैयार करना चाहती थी तो कुछ राजनीतिक दलों  और जेहादियों ने मिलकर भारत की मुख्य भूमि में कश्मीर के पत्थरबाजों -जेहादियों के कारनामों की याद दिला दी।
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दृश्य-3
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एक सप्ताह पहले मेरठ की हिंसक जेहादी भीड़ ने सार्वजनिक रूप से ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाया।
उस पर एस.पी.ने कहा कि तुम भारत से घृणा करते हो,तुम्हंे पाक चले जाना चाहिए।
  इस पर कांग्रेस महा सचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि ‘‘भाजपा ने संस्थाओं में इस कदर सांप्रदायिक जहर घोला है कि आज अफसर को संविधान की कसम की कोई कद्र ही नहीं हैं।’’
  यानी प्रियंका के पास तो उस अफसर के खिलाफ कड़े 
शब्द हैं,पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाने वालों के लिए हल्की झिड़की भी नहीं।क्या यह साठगांठ का नमूना नहीं है तो क्या है ?
  इस प्रसंग में उमा भारती ने लिखा है कि 
‘‘मेरठ के एस.पी.सिटी अखिलेश नारायण सिंह का पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे ,पुलिस को मां-बहन की गालियां दे रहे पत्थर फेंक रहे ,आगजनी कर रहे दंगाइयों से यह कहना कि तुम पाकिस्तान चले जाओ ,एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है।
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     दृश्य-4
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इन दिनों कुछ इलेक्ट्राॅनिक चैनलों के एकपक्षीय व्यवहार अच्छे- भले-निष्पक्ष  लोगों को खल रहे हैं।
 हिंसक घटनाओं की खबर देते समय कुछ खास रुझान वाले चैनल सिर्फ यह दिखाते हैं कि पुलिस किस तरह आंदोलनकारियों की बेरहमी से पिटाई कर रही है।
 दूसरे रुझान वाले चैनल सिर्फ यह दिखाते हैं कि हिंसक दंगाई भीड़ किस तरह पुलिसकर्मियों की पिटाई कर रही है।
   अरे भई, वास्तव में होता यह है कि पहले भीड़ पुलिस पर हल्का या भारी हमला करती है और बाद में पुलिस हिंसा पर उतारू दंगाई भीड़ की जम कर ठुकाई करती है।कभी- कभी पुलिस जरूरत से कम और कभी-कभी जरूरत से अधिक ताकत का इस्तेमाल करती है।ऐसा हमेशा होता रहा है।
निष्पक्ष लोग यह चाहते हैं कि न्यूज चैनल  दोनों पक्षों की कार्रवाइयों को लोगों के सामने लाएं।
  क्या ऐसा कभी हो पाएगा ?
--सुरेंद्र किशोर-29 दिसंबर 2019

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