अमेरिका से यह अपुष्ट खबर आई थी कि राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद बराक ओबामा प्रायवेट जाॅब कर रहे हैं। दूसरी ओर हाल की खबर है कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की कुल संपत्ति करीब 100 करोड़ यू.एस. डाॅलर की है। लंदन में चार फ्लैट ‘उपार्जित’ करने के आरोप में पाक नेता नवाज शरीफ जेल में हैं।
इधर अपने प्रिय देश के अनेक बड़े -बड़े नामी-गिरामी नेताओं के सैकड़ों-हजारों करोड़ रुपए की जायज-नाजायज संपत्ति के बारे में अखबारों में सनसनीखेज खबरें छपती ही रहती हैं। उनके खिलाफ सरकारी जांच एजेंसियों ने पड़ताल जारी रखी है। उनमें से कुछ जेलों में हैं तो कुछ अन्य जेल के दरवाजे पर।
ली कुआन यू 1959 से 1990 तक सिंगापुर के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने थोड़ी प्रशासनिक व राजनीतिक कड़ाई करके भ्रष्टाचार पर काबू पा लिया। नतीजतन सिंगापुर के आम लोगों की आय सालाना 500 डॉलर से बढ़कर 55 हजार डॉलर हो गई। उन्होंने खुद यदि निजी संपत्ति बढ़ाई होती तो शेख हसीना की तरह उसका विवरण भी छप गया होता।
कुछ लोग सवाल करेंगे कि आप इस देश में ली कुआन जैसा तानाशाह पैदा करना चाहते हैं ? पर इस देश के अनेक लोग कड़ाई के बिना ट्रैफिक नियमों का भी पालन करने को तैयार नहीं हैं जबकि रोड दुर्घटनाओं के कारण हर साल यहां करीब डेढ़ लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं।
फिर इस देश की बेहतरी के क्या उपाय है ? पहले यहां यह कल्पना की जाती थी कि यदि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री खुद घूसखोर नहीं हो तो उसका सीधा सकारात्मक असर ब्यूरोक्रेसी पर पड़ेगा। पर, यह कल्पना भी साकार नहीं हुई है।
इधर अपने प्रिय देश के अनेक बड़े -बड़े नामी-गिरामी नेताओं के सैकड़ों-हजारों करोड़ रुपए की जायज-नाजायज संपत्ति के बारे में अखबारों में सनसनीखेज खबरें छपती ही रहती हैं। उनके खिलाफ सरकारी जांच एजेंसियों ने पड़ताल जारी रखी है। उनमें से कुछ जेलों में हैं तो कुछ अन्य जेल के दरवाजे पर।
ली कुआन यू 1959 से 1990 तक सिंगापुर के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने थोड़ी प्रशासनिक व राजनीतिक कड़ाई करके भ्रष्टाचार पर काबू पा लिया। नतीजतन सिंगापुर के आम लोगों की आय सालाना 500 डॉलर से बढ़कर 55 हजार डॉलर हो गई। उन्होंने खुद यदि निजी संपत्ति बढ़ाई होती तो शेख हसीना की तरह उसका विवरण भी छप गया होता।
कुछ लोग सवाल करेंगे कि आप इस देश में ली कुआन जैसा तानाशाह पैदा करना चाहते हैं ? पर इस देश के अनेक लोग कड़ाई के बिना ट्रैफिक नियमों का भी पालन करने को तैयार नहीं हैं जबकि रोड दुर्घटनाओं के कारण हर साल यहां करीब डेढ़ लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं।
फिर इस देश की बेहतरी के क्या उपाय है ? पहले यहां यह कल्पना की जाती थी कि यदि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री खुद घूसखोर नहीं हो तो उसका सीधा सकारात्मक असर ब्यूरोक्रेसी पर पड़ेगा। पर, यह कल्पना भी साकार नहीं हुई है।
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