गुरुवार, 26 सितंबर 2019

   पक्ष या निष्पक्ष ?
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आज की कांग्रेस, ए.डब्ल्यू ह्यूम वाली कांग्रेस नहीं है।
आज का संघ, ‘बंच आॅफ थाॅट’ के रचयिता  गुरू गोलवालकर  
वाला संघ नहीं है।
  यह कहना सही नहीं है कि सावरकर कालापानी की सजा भुगत रहे थे और जवाहर लाल नेहरू आराम से जेल में पुस्तकें लिख रहे थे।या फिर इससे उलट।
  सबने अपने -अपने ढंग से योगदान किए।
न तो कोई विचारधारा पूर्ण है और न ही कोई नेता या कोई दल।
इसीलिए सबकी , उनके गुण -दोष के आधार पर प्रशंसा या आलोचना होनी चाहिए।
ऐसी आलोचना या प्रशंसा जो करता है,वही निष्पक्ष व्यक्ति है।
वैसे जो किसी दल में है, वह निष्पक्ष कैसे रह सकता है ? 
उसे पक्ष लेने की छूट रहनी ही चाहिए।
 पर, फेसबुक पर मैं देखता हूं कि कई लोग परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से यह फतवा देते रहते हैं कि यदि आप मेरे विचार से सहमत नहीं हैं तो आप निष्पक्ष नहीं हैं।

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