बेटी भी कहीं पतोहू है
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‘सास भी कभी बहू थी’
यह एक धारावाहिक का नाम है।
पर, यह एक सामाजिक स्लोगन भी बन चुका है।
इसके साथ एक और स्लोगन को जोड़ने की जरुरत है।
‘बेटी भी कहीं पतोहू है’
दरअसल अनेक मामलों में सास, अपनी पतोहू के साथ वैसा ही व्यवहार नहीं करती जैसा वह अपनी बेटी के साथ करती है।
नतीजतन कई परिवार बिखर रहे हैं।
हालांकि बिखरने के और भी कारण हैं।
पर, एक बड़ा कारण यह भी है।
एक ही शहर में बेटा-पतोहू अलग मुहल्ले में रहते हैं । माता-पिता अलग मुहल्ले मेंं।
परिणामस्वरुप कई बार बूढ़े व अशक्त मां-बाप अपराधियों या फिर अपने ही नौकर की हिंसा के शिकार हो जाते हैं।
आए दिन ऐसी खबरें छपती रहती हैं।
ऐसा पूरे देश में हो रहा है।
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‘सास भी कभी बहू थी’
यह एक धारावाहिक का नाम है।
पर, यह एक सामाजिक स्लोगन भी बन चुका है।
इसके साथ एक और स्लोगन को जोड़ने की जरुरत है।
‘बेटी भी कहीं पतोहू है’
दरअसल अनेक मामलों में सास, अपनी पतोहू के साथ वैसा ही व्यवहार नहीं करती जैसा वह अपनी बेटी के साथ करती है।
नतीजतन कई परिवार बिखर रहे हैं।
हालांकि बिखरने के और भी कारण हैं।
पर, एक बड़ा कारण यह भी है।
एक ही शहर में बेटा-पतोहू अलग मुहल्ले में रहते हैं । माता-पिता अलग मुहल्ले मेंं।
परिणामस्वरुप कई बार बूढ़े व अशक्त मां-बाप अपराधियों या फिर अपने ही नौकर की हिंसा के शिकार हो जाते हैं।
आए दिन ऐसी खबरें छपती रहती हैं।
ऐसा पूरे देश में हो रहा है।
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