जनसत्ता के पूर्व संपादक राहुल देव ने लिखा है कि
‘‘हमारे मंत्री, उच्चाधिकारी, मठाधीश हिंदी को सबकी, हर भारतीय की मातृभाषा कहना कब बंद करेंगे ?
यह तथ्य नहीं है। भारत में कई हजार मातृभाषाएं हैं।
यह बात उनकी भाषा संतानों को चुभती है।
हिंदी देश व देशवासियों की संपर्क भाषा है, राजभाषा है
इतना काफी है।’’
‘‘हमारे मंत्री, उच्चाधिकारी, मठाधीश हिंदी को सबकी, हर भारतीय की मातृभाषा कहना कब बंद करेंगे ?
यह तथ्य नहीं है। भारत में कई हजार मातृभाषाएं हैं।
यह बात उनकी भाषा संतानों को चुभती है।
हिंदी देश व देशवासियों की संपर्क भाषा है, राजभाषा है
इतना काफी है।’’
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