नए ट्रैफिक नियम लागू होने के बाद से मृतकों की संख्या घटी
नए ट्रैफिक नियमों को लागू करने वाले पुलिसकर्मियों से सड़कों पर झगड़ा करने वाले आखिर कितने लोग हैं ? उधर प्रदूषण प्रमाण पत्र और ड्राइविंग लाइसेंस आदि के लिए लाइनों में खड़े कितने लोग हैं ?
नए नियम के बाद सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों की संख्या घटी है या बढ़ी है? कोई भी देख सकता है कि कहां क्या हो रहा है और कहां अधिक लोग हैं। यानी हकीकत यह है कि अधिक लोग कानून का पालन करना चाहते हैं।
खबर है कि मृतकों की संख्या घटी है। इसके ताजा आंकड़े सरकारों को जारी करने चाहिए।
सड़कों पर कम लोग ही झगड़ा करना चाहते हैं। सवाल है कि वोट अधिक जरुरी है या जान ?
इस देश के जो मुख्यमंत्री यह सोचते हैं कि वोट अधिक जरुरी है, इसलिए नए नियमों को लागू न किया जाए या उसे ढीला किया जाए क्योंकि लोग इससे खुश होंगे तो वे गलतफहमी में हैं।
उन्हें उल्टा पड़ेगा। क्योंकि अधिकतर लोग मरना नहीं चाहेंगे। जानबूझकर तो कोई मरना नहीं चाहेगा। हां, अपनी अर्धसामंती ऐंठ दिखाने के चक्कर में या मोदी विरोध की अंधता में कोई अपनी जान खो दे तो बात अलग है।
याद रहे कि ट्रैफिक अराजकता के कारण इस देश में 2016 में डेढ़ लाख लोगों की जान चली गई। यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा था। पर नए ट्रैफिक नियम लागू होने के बाद सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों संख्या घटी है, ऐसी खबरें आ रही हैं। ट्रैफिक नियमों की अवहेलना या नजरअंदाज करने वाली सरकारें कम से कम मृतकों की संख्या पर तो ध्यान दें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें