सोमवार, 16 सितंबर 2019

जमानत और जेल झेल रहे नेताओं की और भी बढ़ेगी



इस देश में जमानत और जेल झेल रहे नेताओं की संख्या ने पिछले सारे रिकाॅर्ड तोडे़ यह संख्या और भी बढ़ेगी।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल रांची में कहा कि ‘हमारा संकल्प है जनता को लूटने वालों को उनकी सही जगह पहुंचाने का। इस पर काम हो रहा है। कुछ लोग चले भी गए हैं। खुद को कानून से ऊपर मानने वाले बेल के लिए चक्कर काट रहे हैं।’

मोदी की यह पहल सराहनीय है। यह आज की जरुरत है। भ्रष्टाचार के आरोप में आज इस देश के जितने नेता लोग जेल में हैं या जमानत पर हैं, उतने इससे पहले कभी नहीं थे। इससे देश की अधिकतर जनता खुश है। क्योंकि अपवादों को छोड़कर अधिकांश लोगों को यह लगता है कि नेताओं-अफसरों-व्यापारियों के एक बड़े हिस्से के भीषण भ्रष्टाचार के कारण ही अपना देश अब भी गरीब है।

भ्रष्टाचारी लगभग सभी दलों में हैं। कुछ में अधिक तो कुछ में कम। यह अच्छी बात है कि अपवादों को छोड़ कर अदालतें भी बहुत अच्छे ढंग से अपना काम रही हैं।

आज भ्रष्टाचार और आतंकवाद देश के सामने सबसे बड़े मुद्दे हैं। ‘नकली समाजवाद’ और ‘फर्जी धर्मनिरपेक्षता’ के नारे बेअसर हो चुके हैं। जिन लोगों ने इसे मुख्य मुद्दा बनाया, वे चुनाव हारे।
ऐसा कई बार हो चुका है कि चुनावों में अधिकतर जनता के दिल ओ दिमाग में कुछ अन्य बातें होती हैं, पर कुछ नेता व दल किसी अन्य दिशा में उसे हांकना चाहते हैं। हालांकि वे फेल कर जाते हैं।


1971 चुनाव- इंदिरा गांधी ने 1969 में गरीबी हटाओ का नारा दिया। अधिकतर लोगों को अच्छा लगा। पर तब प्रतिपक्ष कह रहा था कि इंदिरा एकाधिकारवाद की ओर जा रही है। चुनाव में इंदिरा गांधी जीत गईं।

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1977-अधिकतर लोग इमरजेंसी के अत्याचारों से पीडि़त थे। पर कांग्रेस के पास कुछ और ही नारे थे। जैसे--अनुशासन ही देश को महान बनाता है आदि—आदि.....। उस चुनाव में सी.पी.आई. चुनाव सभाओं में कह रही थी कि अमेरिका दियागो ग्रासिया द्वीप में सैन्य अड्डा बना रहा है। वह आज सबसे बड़ी समस्या है।

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2019--कांग्रेस के राहुल गांधी का नारा था-‘चौकीदार चोर है।’

दूसरी ओर जनता देख रही थी कि मोदी सरकार तो एक -एक करके अनेक बड़े—बड़े चोरों के खिलाफ ही कार्रवाई कर रही है। मोदी मंत्रिमंडल का कोई सदस्य किसी घोटाले में नहीं पड़ा।
नतीजतन 2019 के लोकसभा चुनाव का नतीजा सामने हैं। आगे भी क्या होगा,उसके संकेत अभी से मिल रहे हैं।

पुनश्चः-

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हां, आज के प्रतिपक्ष की एक शिकायत जायज लगती है। यह कि क्या भ्रष्ट सिर्फ गैर राजग दलों में ही हैं? इस शिकायत की पृष्ठभूमि में मोदी सरकार का यह कर्तव्य है कि वह अपने दल व जमात के भ्रष्टों के खिलाफ भी उतनी गंभीरता से कार्रवाई करे। यदि वह नहीं करती है तो गैर भाजपा दल के बड़े- बड़े वकीलगण डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी की राह पर चलकर उन्हें जेल भिजवाएं।

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