कानून तोड़ने के लिए भी 56 इंच का सीना चाहिए और पास में 23 हजार रुपए भी !
बहुत दिनों बाद एक दिन पटना शहर की ओर गया तो
सोचा कि
बिहार विधान मंडल भवन भी हो लूं।
पर,पाॅकेट में हाथ डाला तो झटका लगा।
‘प्रेस पास’ तो घर ही छोड़ आया था।
नहीं गया।
पता नहीं, कौन कोई नया सुरक्षा प्रहरी मुझे गेट पर ही रोक ले।
1969 से ही बिहार विधान भवन जा रहा हूं।
अनेक नए-पुराने संतरी परिचित हैं।
पर, कोई खतरा मोल नहीं लिया।
पर, देखिए दिल्ली के दिनेश मदान को !
ड्राइविंग लाइसेंस नहीं।
रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट नहीं।
बीमा नहीं।
हेल्मेट नहीं।
प्रदूषण प्रमाण पत्र भी नहीं।
फिर भी बीच शहर में स्कूटर की सवारी !
मदान जैसे मरद लोग जानते हैं कि यहां ऐसे ही चलता है।
हम ही क्यों ?
अनेक नेता लोग भी तो सत्ता में आते हैं,देश को लूटते हैं।
जेल जाते हैं।
फिर सजामुक्त होकर लौटते हैं।
फिर सत्ता में आ जाते हैं।
जो कमाया,उसमें से थोड़ा बहुत मुकदमेबाजी में लगा।
बाकी देश-विदेश में संचित धन बच ही तो गया।
छवि बचाने के लिए मीडिया में बयान दे दिया कि राजनीतिक बदले की भावना से फंसा दिया गया था।
या किसी खास जाति या धर्म का हूं,
इसलिए जानबूझ कर राजनीतिक विरोधियों द्वारा साजिश से फंसाया गया था।
अब दूध का दूध ,पानी का पानी हो गया।
ऐसे देश में दिनेश मदान पर 23 हजार रुपए फाइन ! !
नई बात है।
लगता है कि इन दिनों सुप्रीम कोर्ट से सिपाही तक सक्रिय हैं।
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