वैचारिक बेईमानी बनाम वैचारिक ईमानदारी
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बेईमान-
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1.-जो मुस्लिम अतिवादियों की तो आलोचना
करे,पर हिन्दू अतिवादियों पर मौन रहे।
बल्कि उनको बढ़ावा दे और उनका गुणगान करे।
उनके पापों का किसी न किसी बहाने बचाव करे।
2.- जो हिन्दू अतिवादियों की तो आलोचना
करे,पर मुस्लिम अतिवादियों पर मौन रहे।बल्कि उनको बढ़ावा दे और उनका गुणगान करे।उनके पापों का किसी न किसी बहाने बचाव करे।
ईमानदार-
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जो ऐसे दोनों तत्वों की समान रुप से आलोचना करे।
उनसे दूर रहे।
ऐसे उपाय करे जिससे ऐसे अतिवादी लोग
न तो कभी सत्ता में आएं और न किसी सत्ता पर हावी हों।
देश संविधान,कानून तथा नैतिकता के आधार पर चले।
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बेईमान-
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1.-जो मुस्लिम अतिवादियों की तो आलोचना
करे,पर हिन्दू अतिवादियों पर मौन रहे।
बल्कि उनको बढ़ावा दे और उनका गुणगान करे।
उनके पापों का किसी न किसी बहाने बचाव करे।
2.- जो हिन्दू अतिवादियों की तो आलोचना
करे,पर मुस्लिम अतिवादियों पर मौन रहे।बल्कि उनको बढ़ावा दे और उनका गुणगान करे।उनके पापों का किसी न किसी बहाने बचाव करे।
ईमानदार-
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जो ऐसे दोनों तत्वों की समान रुप से आलोचना करे।
उनसे दूर रहे।
ऐसे उपाय करे जिससे ऐसे अतिवादी लोग
न तो कभी सत्ता में आएं और न किसी सत्ता पर हावी हों।
देश संविधान,कानून तथा नैतिकता के आधार पर चले।
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