गुरुवार, 12 सितंबर 2019

सत्तर के दशक में एक खास राजनीतिक दल के बारे में
एक विरोधी नेता ने कहा था,
‘यह न तो कोई पार्टी है और न ही प्लेटफार्म ।बल्कि, यह सत्तालोलुपों का एक घिनौना गिरोह मात्र है।’
आज की स्थिति क्या है ?
पार्टी के नाम पर ऐसे गिरोहों की संख्या आज बढ़ गई है।
यदि वह नेता आज भी जिन्दा होता तो कहता,
‘हमारे देश में कुछ दल ऐसे हैं जो न तो पार्टी हैं और न ही 
प्लेटफार्म,बल्कि सत्तालोलुपों,धन पिपासुओं और वंश-परिवारवादियों के घिनौना गिरोह हैं।
ये दल अपने स्वार्थ में अपने देश के खिलाफ भी बोलते रहते हैं।’  

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