बुधवार, 4 सितंबर 2019

वो नहीं जानते कि वो क्या चाहते हैं ! !
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1.-1990 में मंडल आरक्षण पर जब आंदोलन चरम सीमा पर था तो बिहार के एक आरक्षण विरोधी नेता ने मुझसे कहा था कि हम इस देश में एक सवर्ण लैंड की मांग करेंगे।
  उनका ऐसा बयान छपा भी।
क्या वे उस मांग को अब भी दोहरा सकते हैं ? कत्तई नहीं।
वह तो वक्त की गरमी थी।
1.-  1962 के चीन -भारत युद्ध से पहले द्रविड आंदोलन अलग देश की मांग कर रहा था।
 पर, उस युद्ध के कटु अनुभवों के बाद द्रविड नेताओं को लगा कि एक मजबूत केंद्रीयकृत शासन वाले देश के साथ रहने में ही द्रविड़ों की भी भलाई है।
3.-  इन दिनों कश्मीर के कुछ अदूरदर्शी  लोग जेहादी मानसिकता से ग्रस्त हैं।
 वे जेहादी मानसिकता वाले नेताओं -लश्करों से भरे पड़े कुछ  मुस्लिम बहुल देशों की दुर्दशा देख कर भी सबक नहीं ले रहे हैं।
पर एक दिन उन्हें भी यह महसूस होगा कि एक लोकतांत्रिक व विकासशील देश में उनके और उनके बाल -बच्चों के लिए बेहतर भविष्य होगा।
  किसी अज्ञात स्वर्ग की कामना को छोड़ कर वे किसी दिन इसी धरती को स्वर्ग बनाएंगे,ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए।
  पाक प्रधान मंत्री इमरान खान भारत पर परमाणु हमले की अपनी धमकी से पलटते हुए अब कहा है कि हम  न्यूक्लीयर बम का पहले इस्तेमाल नहीं करेंगे।
संभवतः उन्हें पाक की अधिकतर जनता की यह राय मिली होगी कि पहले बम फोड़ोगे तो भारत में तो फिर भी एक अरब लोग बच जाएंगे,पर, पाक तो पूरा मटियामेट हो जाएगा।
  यानी पाक के कुछ लोग तो जरूर जेहाद के लिए कर्बान होने को तैयार हैं।पर साथ -साथ यह भी लगता है कि पाक के जो लोग नाहक जान गंवाना नहीं चाहते,उनकी संख्या बहुत अधिक है। लगता है कि इमरान खान ने अपने देश में अघोषित जनमत संग्रह करवा लिया। 

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