एक हिन्दी लेख के लिए 50 हजार रुपए !
..................................................................................................
कुछ ही साल पहले एक बड़े हिन्दी अखबार के मालिक ने व्यक्तिगत बातचीत में मुझे बताया था कि ‘मैं संपादकीय पेज के मुख्य लेख के लिए 50 हजार रुपए तक देने को तैयार रहता हूं।पर, लेख अच्छा होना चाहिए।’
मुझे यह सुनकर बहुत अच्छा लगा।
संभवतः यह अमेरिका के अखबार के पारिश्रमिक के लगभग बराबर माना जा सकता है।
पर, मुझे उनसे यह पूछने की हिम्मत नहीं हुई कि आप सामान्य फ्रीलांस पत्रकारों के पारिश्रमिक के लिए अपने यहां कितने बड़े बजट का प्रावधान रखते हैं।
..................................................................................................
कुछ ही साल पहले एक बड़े हिन्दी अखबार के मालिक ने व्यक्तिगत बातचीत में मुझे बताया था कि ‘मैं संपादकीय पेज के मुख्य लेख के लिए 50 हजार रुपए तक देने को तैयार रहता हूं।पर, लेख अच्छा होना चाहिए।’
मुझे यह सुनकर बहुत अच्छा लगा।
संभवतः यह अमेरिका के अखबार के पारिश्रमिक के लगभग बराबर माना जा सकता है।
पर, मुझे उनसे यह पूछने की हिम्मत नहीं हुई कि आप सामान्य फ्रीलांस पत्रकारों के पारिश्रमिक के लिए अपने यहां कितने बड़े बजट का प्रावधान रखते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें