गुजरात में कांग्रेस को इस बार विधान सभा की 80 सीटें मिलीं।
बिहार में 2015 के बिहार विधान सभा चुनाव में राजद को 80 सीटें मिली थीं।
इन दोनों में एक और समानता है।
2015 की लालू प्रसाद की जीत , राजद-जदयू-कांग्रेस महा गठबंधन की जीत थी।
उसी तरह गुजरात में राहुल गांधी की जीत कांग्रेस-हार्दिक-अल्पेश -जिग्नेश गठबंधन की जीत लग रही है।
2010 के बिहार विधान सभा चुनाव में राजद -लोजपा गठबंधन को कुल 243 में से सिर्फ 25 सीटें मिली थीं।इससे उनकी अपनी खुद की वास्तविक चुनावी ताकत का पता चला।
हिमाचल में इस बार कांग्रेस की खुद की असली ताकत का पता चला।कांग्रेस को 2007 में वहां 23 सीटें मिली थीं।इस बार 21 मिली।
अगले किसी चुनाव में लालू प्रसाद और राहुल गांधी अपने बल पर इन प्रदेशों में 80 सीटें ला पाते हैं या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा।लालू-राहुल को ऐसा प्रयास करना चाहिए ताकि वे अगली बार भी कम से कम इतनी सीटें ला सकें। क्या वे यह काम कर पाएंगे ?
बिहार में 2015 के बिहार विधान सभा चुनाव में राजद को 80 सीटें मिली थीं।
इन दोनों में एक और समानता है।
2015 की लालू प्रसाद की जीत , राजद-जदयू-कांग्रेस महा गठबंधन की जीत थी।
उसी तरह गुजरात में राहुल गांधी की जीत कांग्रेस-हार्दिक-अल्पेश -जिग्नेश गठबंधन की जीत लग रही है।
2010 के बिहार विधान सभा चुनाव में राजद -लोजपा गठबंधन को कुल 243 में से सिर्फ 25 सीटें मिली थीं।इससे उनकी अपनी खुद की वास्तविक चुनावी ताकत का पता चला।
हिमाचल में इस बार कांग्रेस की खुद की असली ताकत का पता चला।कांग्रेस को 2007 में वहां 23 सीटें मिली थीं।इस बार 21 मिली।
अगले किसी चुनाव में लालू प्रसाद और राहुल गांधी अपने बल पर इन प्रदेशों में 80 सीटें ला पाते हैं या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा।लालू-राहुल को ऐसा प्रयास करना चाहिए ताकि वे अगली बार भी कम से कम इतनी सीटें ला सकें। क्या वे यह काम कर पाएंगे ?
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