भाजपा विरोधी पार्टियां खास कर कांग्रेस यदि एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक व कारगर बनना चाहती हैं तो उसे कम से कम दो एजेंडा पर तो तुरंत काम शुरू कर देना पड़ेगा।
1.-वह अपने आसपास घोटालेबाजों और महा घोटालेबाजों को अब फटकने न दे। चाहे वे नेता हों या कोई घोटालेबाज संगठन। ऐसे लोग अपने दल के हों या दूसरे दलों के।
जिस दल को आप पराजित करना चाहते हैं ,आपको खुद जनता की नजर में उस दल की अपेक्षा कम भ्रष्ट दिखना पड़ेगा।
2.- अल्पसंख्यक तुष्टिकरण को लेकर ए.के.एंटोनी कमेटी की
रपट पर कांग्रेस को अब गंभीरतापूर्वक ध्यान देना होगा।
याद रहे कि 2014 के लोक सभा चुनाव में अपनी करारी हार के बाद कांग्रेस ने एंटोनी कमेटी गठित की थी।कांग्रेस की हार के कारणों की चर्चा करते हुए उस कमेटी ने अन्य बातों के अलावा यह भी कहा था कि ‘अल्पसंख्यकों से कांग्रेस की निकटता से आम लोगों को कांग्रेस की धर्म निरपेक्षता की प्रामाणिकता को लेकर शंका हुई।’
एंटोनी ने बड़े शालीन शब्दों में उपर्युक्त बात कही है।
इस मामले में बात अधिक गंभीर रही है जिसका फायदा भाजपा को मिलता रहा है।
कांग्रेस एक बात और समझ ले ।नरेंद्र मोदी न तो मोरार जी
देसाई हैं और न ही अटल बिहारी वाजपेयी।इसलिए मोदी को सत्ताच्युत करना आसान काम नहीं है।किसी कठिन काम के लिए कठिन तपस्या करनी पड़ती है।पुरानी राजनीतिक शैली से काम नहीं चलता।
जो गुजरात जैसा कठिन चुनाव जीत सकता है,वह 2019 का लोक सभा भी जीत सकता है।
फिर तो हाथ मलते रहने के सिवा प्रतिपक्ष के पास कुछ बचेगा नहीं।
@ 18 दिसंबर 2017@
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