वर्षों से मैं पटना रेलवे जंक्शन और न्यू मार्केट नहीं गया।
भीड ़भाड़, धक्कम धुक्की और ट्राफिक अराजकता के भय से।
अब शायद जा पाऊंगा।
पटना रेलवे जंक्शन के पास से गुजरने वाले फ्लाई ओवर के
आज चालू हो जाने से यह संभावना बनी है।
इस बीच मैं तीन चीजों के लिए तरसता रहा।
पटना रेलवे जंक्शन स्थित व्हीलर बुक स्टाॅल,महावीर मंदिर के दक्षिण भारतीय लड्डू और मंदिर के पास जमीन पर बिछी हुई पत्र-पत्रिकाओं के दर्शन नहीं हो पाए।
अब शायद हो।लगे हाथ बता दूं कि मिलावट रहित मिठाई के लिए मैं सिर्फ उस दक्षिण भारतीय लड्डू पर ही भरोसा कर सकता हूंं।
वहां शायद सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में अतिक्रमित फुटपाथी दुकानदारों का हड़भोंग तो फिर भी कायम रहेगा।क्योंकि उस काम में ट्राफिक पुलिस व लोकल थाने का सक्रिय सहयोग रहता है।कोई नियमित आय को क्यों छोड़ेगा ?किसके भय से ?अदालत भी वहां लाचार है।
पर पूरब से पश्चिम जाने वाले बहुत से वाहन जब फ्लाई ओवर से ऊपर-ऊपर निकल जाएंगे तो नीचे भीड़ कम होगी।
पर भय है कि पुलिस वाले आय बढ़ाने के लिए उनकी जगह नये फटपाथी दुकानदारों को वहा नं बसा दें ?
भीड ़भाड़, धक्कम धुक्की और ट्राफिक अराजकता के भय से।
अब शायद जा पाऊंगा।
पटना रेलवे जंक्शन के पास से गुजरने वाले फ्लाई ओवर के
आज चालू हो जाने से यह संभावना बनी है।
इस बीच मैं तीन चीजों के लिए तरसता रहा।
पटना रेलवे जंक्शन स्थित व्हीलर बुक स्टाॅल,महावीर मंदिर के दक्षिण भारतीय लड्डू और मंदिर के पास जमीन पर बिछी हुई पत्र-पत्रिकाओं के दर्शन नहीं हो पाए।
अब शायद हो।लगे हाथ बता दूं कि मिलावट रहित मिठाई के लिए मैं सिर्फ उस दक्षिण भारतीय लड्डू पर ही भरोसा कर सकता हूंं।
वहां शायद सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में अतिक्रमित फुटपाथी दुकानदारों का हड़भोंग तो फिर भी कायम रहेगा।क्योंकि उस काम में ट्राफिक पुलिस व लोकल थाने का सक्रिय सहयोग रहता है।कोई नियमित आय को क्यों छोड़ेगा ?किसके भय से ?अदालत भी वहां लाचार है।
पर पूरब से पश्चिम जाने वाले बहुत से वाहन जब फ्लाई ओवर से ऊपर-ऊपर निकल जाएंगे तो नीचे भीड़ कम होगी।
पर भय है कि पुलिस वाले आय बढ़ाने के लिए उनकी जगह नये फटपाथी दुकानदारों को वहा नं बसा दें ?
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