सिर्फ सवाल ही नहीं खड़े किए जा रहे हैं बल्कि धमकियां भी मिल रही हैं।जिन कुछ लोगों को मैं कभी मित्र समझता था,वे भी मेरी मंशा पर सवाल उठा रहे हैं।
पर, मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं है।धमकी,मुकदमे, गालियां,नौकरी से निष्कासन , मारपीट ये सब मैं 1972 से ही झेल रहा हूं।कोई बताए कि मैंने किसी सत्ताधारी से अपने निजी फायदे के लिए कभी कुछ मांगा या पाया ? मिला भी तो क्या उसे स्वीकारा ?
फिर यह सब क्यों ? सिर्फ पत्रकारिता की जिम्मेदारी निभाने के लिए ही तो !
एक स्वजातीय मुख्य मंत्री के सबसे करीबी नेता ने मुझ पर मुकदमा किया था।दूसरे स्वजातीय मुख्य मंत्री ने डी.जी.पी.को कह कर मेरे उस मुकदमे को समाप्त करवा दिया था जो मैंने उन लोगों पर किया था जिन्होंने मुझे फोन करके मेरे परिवार को उठा लेने की धमकी दी थी।
अब तो जीवन के पांच-दस साल बचे हैं।पारिवारिक जिम्मेदारियोंे
से मुक्त हूं।कभी कोई राजनीतिक या आर्थिक महत्वाकांक्षा नहीं पाली।सिर्फ लोगों को सूचित करने के अपने अधिकार को बनाये रखने के लिए संघर्षरत रहा।
जब इस देश के लोगों के साथ नाइंसाफी करने वाले लोग खुद को बदलने को तैयार नहीं हैं तो मैं किसी के कहने या धमकाने से खुद को क्यों बदल लूं ? हां, मुझे सदा अफसोस रहेगा यदि कभी किसी के बारे में गलत तथ्य लिख दूं।मैं हमेशा क्षमा याचना को तैयार रहता हूं।
पर आज तथ्यों पर बात करने के लिए कितने लोग तैयार हैं ?
@ 26 दिसंबर 2017@
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