बुधवार, 27 दिसंबर 2017

   अरूण शौरी और शत्रुघ्न सिंहा ने अपने उन प्रशंसकों 
को अंततः निराश किया है जो उनकी पिछली गैर राजनीतिक शानदार भूमिकाओं पर मोहित रहे हैं।
एक पत्रकार और लेखक के रूप में अरूण शौरी और
एक फिल्मी कलाकार के रूप में शत्रुघ्न सिंहा के अपेक्षाकृत अधिक फैन रहे हैं ।
केंद्रीय मंत्री के रूप में दोनों में से किसी ने भी कोई खास प्रभावित नहीं किया था।
 फिर भी इन दिनों  यह आम धारणा है कि ये दोनों बेमिसाल हस्तियां नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर इसलिए नाराज हैं क्योंकि इन्हें मंत्री बनने का इस बार  मौका नहीं मिला।
क्या मंत्री बनना इतना अधिक महत्वपूर्ण है कि उसकी खातिर अपनी पिछली शानदार भूमिकाओं और उपलब्धियों को धुंधला हो जाने दिया जाए ?
   अटल बिहारी वाजपेयी जब पहली बार केंद्र में मंत्री बने थे तो उनसे किसी ने पूछा था कि कैसा लग रहा है ?
उन्होंने कहा था कि बहुत अच्छा लगता है जब आॅफिस के कमरे का दरवाजा  अपने -आप खुल जाता है और बंद हो जाता है।
 जाहिर है कि किसी मंत्री के लिए दरवाजा खोलने का काम सरकारी सेवक करता है।
  क्या इतने ही के लिए शौरी और सिंहा  मौजूदा भूमिका में हैं ? क्या इस देश में  एक केंद्रीय मंत्री की अपेक्षा इनके  कम प्रशंसक रहे हैं ? 

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