रविवार, 17 दिसंबर 2017

बदजुबान नेताओं पर लगाम लगाने का कोई है उपाय ?


         
 सत्तर के दशक की बात है।एक चर्चित व दबंग समाजवादी नेता तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ कड़ी -कड़ी बातें अक्सर बोलते रहते थे।
एक बार किसी ने उनसे कहा कि इंदिरा जी औरत हैं,आपको उनके खिलाफ इतनी कड़ी बातें नहीं बोलनी चाहिए।
इस पर नेता जी शुरू हो गए, ‘क्या कहा ? इंदिरा जी औरत हैं ? अरे भई , पूतना भी तो औरत थी।सूपनखा भी तो औरत ही थी।’
और न जाने क्या -क्या कह दिया उस नेता जी ने !
बेचारा कहने वाला चुप रह गया।
  इंदिरा जी एकाधिकारवादी जरूर थीं, पर उनकी तुलना पूतना से करना ज्यादती थी।
  पर, इसके साथ ही लोगों ने देखा की किस तरह इस देश की राजनीति से गांधी युग की  शालीनता समय के साथ धीरे -धीरे समाप्त होने लगी ।
पर अब ? आज तो  राजनीति में कलयुग आ चुका है।
अब कौन सी मर्यादा और कौन सी सीमा ?
 कुछ साल पहले वरूण गांधी ने अपनी एक जन सभा में अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्यंत आपत्तिजनक बात कह दी थी।
फिर क्या था ! भला इस पर लालू प्रसाद कैसे चुप रहते !
उन्होंने कह दिया कि यदि वरूण बिहार में होता तो मैं उस पर 
बुल डोजर चलवा देता।
जब इस टिप्पणी पर  हंगामा हुआ तो कांग्रेस लालू के बचाव में आ गयी।कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि लालू जी के शब्दों पर ध्यान पर दीजिए,उनकी भावना पर ध्यान दीजिए।
  पर कांग्रेस कभी ऐसी छूट प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी तक को नहीं देती।
  उधर नरेंद्र मोदी भी कभी- कभी अपने पद की गरिमा से बाहर चले जाते हैं।
एक बार उन्होंने सुनंदा पुष्कर और शशि थरूर की चर्चा करते हुए कह दिया था कि ‘ वह क्या गर्ल फे्रंड हैं ? क्या 50 करोड़ का गर्ल फंे्रंड कभी देखा है ?’
  अदमनीय कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कभी कहा था कि ‘अरविंद केजरीवाल राखी सावंत की तरह हैं।’
सन  2014 में सहारन पुर लोक सभा चुनाव क्षेत्र से कांग्रेसी उम्मीदवार इमरान मसूद ने कह दिया कि उत्तर प्रदेश गुजरात नहीं है।यहां नरेंद्र मोदी को बोटी -बोटी काट देंगे।इसको लेकर उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था।पता नहीं ,उस केस में क्या हुआ।
दरअसल ऐसे बयानों को लेकर आम तौर पर  कोई सजा नहीं होती,इसलिए भी बदजुबानी बढ़ती जा रही है।
  गत लोक सभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मुलाकात की थी।इस मुलाकात पर   शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह लोमड़ी और भेडि़ए के अहिंसा और शाकाहार पर बात करने जैसा है।
सन 2014 में राम पुर की एक चुनावी सभा में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मंत्री आजम खान ने नरेंद्र मोदी को कुत्ते के बच्चे का बड़ा भाई कह दिया था।
तब यू.पी. के गोंडा में कांग्रेस के लोक सभा उम्मीदवार बेनी प्रसाद वर्मा ने कहा था कि नरेंद्र मोदी आर.एस.एस.का सबसे बड़ा गुंडा है और राज नाथ सिंह उसका गुलाम है।
   कांग्रेस नेता विवादास्पद नेता मणि शंकर अययर तो कभी -कभी हद ही कर देते हैं।
अययर ने हाल ही में नरेंद्र मोदी के बारे में कह दिया कि ‘ये आदमी बहुत नीच किस्म का है।इसमें कोई सभ्यता नहीं है।’
 मणि शंकर अययर की इस टिप्पणी को गुजरात चुनाव में नरेंद्र मोदी और भाजपा ने खूब भंजाया।
अनेक लोग नरेंद्र मोदी पर  जनवरी, 2014 में की गयी  मणि शंकर अययर की  एक टिप्पणी के कारण पहले से ही अययर पर नाराज थे।तब प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार मोदी के बारे में अययर ने कह दिया था कि ‘मैं वादा करता हूं कि मोदी 21 वीं सदी में तो प्रधान मंत्री नहीं बन सकते।
हां, यदि वे चाहें तो उनके लिए मैं चाय के स्टाल की व्यवस्था  करा सकता हूं।’
उसके जवाब में गोवा के एक भाजपा नेता ने कहा कि यदि अययर चाहें तो हम उनके लिए गोवा में शराब के व्यापार का प्रबंध करा देंगे।  
 जब मणि शंकर अययर की पहली टिप्पणी हास्यास्पद साबित हो चुकी थी, फिर भी अययर ने नीच वाली टिपपणी हाल में कर दी।
 कांग्रेस ने उन्हें भले पार्टी से निलंबित कर दिया,पर उस टिप्पणी से  कांग्रेस को चुनावी नुकसान हो ही गया।
  लगता है कि अनेक दल में ऐसे बड़बोले, मुंहफट और तमीजरहित
नेता पाले -पोसे जाते हैं।कुछ ऐसे नेता भाजपा की  भी शोभा बढ़ाते हैं।भाजपा सांसद साक्षी महाराज उनमें प्रमुख हैं।
  इस साल के प्रारंभ में कुछ अन्य राज्यों के साथ -साथ उत्तर प्रदेश में भी विधान सभा के चुनाव हुए थे।
 चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं ने जम कर शब्दों के तीर चलाए।
तत्कालीन मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने नरेंद्र मोदी की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि इतना बड़ा झूठ बोलने वाला प्रधान मंत्री मैंने नहीं देखा।
राहुल गांधी ने कहा कि प्रधान मंत्री झूठ की ही राजनीति करते हैं।
याद रहे कि झूठ शब्द असंसदीय है।विधायिकों में कोई सदस्य झूठ शब्द का प्रयोग नहीं कर सकता।करेगा तो उसे सदन की कार्यवाही से बाहर कर दिया जाएगा।
 जहां मायावती चुनाव प्रचार कर रही हों ,वहां कहना ही क्या ?
उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि मोदी घुसपैठिए हैं और मैं प्रदेश की बेटी हूं। 
 भाजपा नेता अमित शाह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में दो भ्रष्टाचारी कुनबों का मिलन हुआ है।एक दल के नेता से उनकी मां और दूसरे दल के नेता से उनके पिता परेशान हैं।
 नब्बे के दशक की बात है।तब राबड़ी देवी बिहार की मुख्य मंत्री थीं।उन्होंने राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी के बारे में जन सभा में कह दिया था कि इस एक पैर के लंगड़ा का दूसरा पैर भी तुड़वा कर दिल्ली वापस भिजवा दूंगी।उन्होंने तो एक बार जार्ज फर्नांडिस को भठियारा तक कह दिया था।
कुछ सत्ताधारी  नेता कई बार मन की भंड़ास निकालने के लिए 
विधायिका के सदन का इस्तेमाल करते रहे हैं।
 चूंकि उसमें कही गयी बातों पर केस  नहीं हो सकता।
वे वहां अश्लील बातेंं भी बोल देते हैं।मीडिया के जरिए बातें प्रचारित हो जाती हैं और बाद में पीठासीन अधिकारी उन आपतितजनक बातों को सदन की कार्यवाही से निकाल भी देते हैं।
यानी नेता का काम भी हो गया और नियम  भी नहीं टूटा।
इसलिए अब यह सलाह दी जाती रही है कि सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण नहीं होना चाहिए क्योंकि कुछ बेलगाम जन प्रतिनिधि इस सुविधा का दुरूपयोग करते हैं।
पर क्या बेलगाम नेता ऐसा होने देंगे ?
   @मेरा यह लेख ‘हस्तक्षेप’ - राष्ट्रीय सहारा -16 दिसंबर 2017- में प्रकाशित@

    


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