शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

  देश की सभी भाजपा शासित राज्य सरकारें उन लोगों के लिए पेंशन देने की योजना बना रही हंै जो 1975-77 के आपातकाल में जेलोें में बंद थे।
हालांकि बिहार सहित दो-तीन  राज्यों में पहले से ही यह सुविधा मिल रही है।
इस संबंध में मेरी यह राय रही है कि वैसे सभी राजनीतिक कर्मियों के लिए पेंशन की व्यवस्था होनी  चाहिए चाहे वे जिस किसी दल के हों और अहिंसक जन आंदोलनों में शामिल होने के कारण जेल गए हों। 
 इससे  सांसद-विधायक फंड के ठेकेदारों का दबदबा राजनीति में घटेगा।
 कुछ राजनीतिक दल धन्ना सेठों से अरबों रुपए का चंदा लेते हैं।उनके कुछ नेता चार्टर प्लेन से चलते हैं।उन चंदों का किसी को वे हिसाब तक नहीं देते।पर, उनके कई ईमानदार कार्यकत्र्ता कुछ  सौ -हजार रुपए के लिए तरसते हैं।
 या तो वे कार्यकत्र्ता अपने घर से पैसे खर्च करके राजनीति करें या फिर दलाली से पैसे कमाएं।
ये करोड़पति राजनीतिक दल हर जिले में अपने कुछ चुने हुए  कार्यकत्र्ताओं को पार्टी फंड से गुजारा भत्ता क्यों नहीं देते ?
   

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