शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017


  इस महीने का ‘तापमान’ देर से आया।यानी मुझे कुछ अधिक ही प्रतीक्षा करनी पड़ी।इस चर्चित मासिक पत्रिका की प्रतीक्षा रहती है।
इस बार जब देर होने लगी तो अचानक मुझे याद आया कि 
चारा घोटाले का अदालती निर्णय ही 23 दिसंबर को आने को है।
उसे कवर करना जरूरी था।
जब आया तो देखा कि लालू प्रसाद पर विस्तृत कवरेज है।पठनीय है।
 लालू प्रसाद पर तो कोई भी खबर पठनीय होती है।
 पर तापमान तो वैसे भी हर माह पठनीय खबरें जुटा लेता  है।चाहे लालू कवर पर हों या नहीं।
  पटना से प्रकाशित इस पत्रिका की कई विशेषताएं हैं।पर सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह पूरे बिहार की राजनीतिक खबरों का  आईना है।कैपसूल है।
पटना के दैनिक अखबारों के अनेक स्थानीय संस्करणों में विभक्त हो जाने के कारण पटना में बैठा कोई पाठक पूरे बिहार की सारी महत्वपूर्ण और भीतरी खबरें नहीं जान पाता।‘तापमान’ विभिन्न जिलों की महत्वपूर्ण खबरें हर माह छापता रहता है।खास कर राजनीतिक खबरें।अपराध की खबरों की अलग से चर्चा मैंने इसलिए नहीं की क्योंकि कई बार दोनों एक दूसरे में आम तौर पर समाहित रहते हैं।
   ‘तापमान’ में ऐसी खबरें रहती  हंै जिन खबरों को लिखने और छापने के लिए अतिरिक्त हिम्मत की जरूरत होती है।
  यह सब ‘तापमान’ के संपादक की देन है।
अविनाश चंद्र मिश्र पहले  दैनिक ‘आज’@पटना@ के संपादक थे।अच्छी प्रतिष्ठा है।अविराम काम करते हैं।विनम्र हैं ।उनके समाने जाकर कोई खुद को छोटा महसूस नहीं करता।इसलिए उनके पास बुद्धिजीवी जुटते रहते हैं।
 17 साल पहले जब उन्होंने यह पत्रिका शुरू की तो उन्होंने एक अच्छे नाम का भी  चयन कर लिया -‘तापमान।’वैसे इसका पूरा नाम समकालीन तापमान है।पर हम सब उसे तापमान ही कहते हैं।
इसका अच्छा -खासा सर्कुलेशन है।
बिहार और झारखंड के अलावा यह कुछ अन्य स्थानों में भी जाता है।
इसमें कुछ नामी -गिरामी  और तेज -तर्राट पत्रकार लिखते हैं।सामग्री रोचक रहती है।
यह सबकी खबर लेता है और सबको खबर देता है।
  किसी पूंजी घराने से इतर के किसी प्रकाशन का इतने लंबे समय से अविराम प्रकाशन ध्यान खींचता है।
  तापमान की सफलता  पर कई साल से कुछ लिखने की इच्छा थी।यह काम नहीं कर सका।अब जब सोशल मीडिया का सहारा है तो क्यों नहीं अविनाश जी और उनकी टीम को इस सफल व आकर्षक प्रकाशन के लिए बधाई दे दूं ।निरंतर सफलता की शुभकामना भी है।


      

कोई टिप्पणी नहीं: