शनिवार, 24 मार्च 2018


---नयी स्वास्थ्य योजना से बढ़ी गांवों में भी अस्पताल खुलने की संभावना---
अब देश के 10 करोड़ गरीब परिवार सरकारी और निजी अस्पतालों में पांच लाख रुपए तक का कैशलेस इलाज करा सकेंगे।केंद्र सरकार का यह ताजा निर्णय  है।
यदि एक परिवार के सदस्यों की औसत संख्या पांच मानी जाए  तो इस ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत 50 करोड़ मरीजों का इलाज हो सकेगा।
मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी  तो बड़ी संख्या में मरीज अस्पतालों में पहुंचने लगेंगे।पर इतनी  बड़ी संख्या में मरीजों को संभालने के लिए देश में फैले अस्पताल कम पड़ जाएंगे।
निजी और सरकारी अस्पतालों का जाल बिछाना पड़ेगा।
बड़ी संख्या में  सरकारी अस्पताल खोलने के लिए सरकार के पास साधनों की कमी पड़ेगी।
पर, निजी अस्पतालों के लिए इस आयुष्मान भारत योजना ने नयी संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं।
निजी अस्पतालों के लिए प्रखंड स्तरों पर भी संभावनाएं बन
सकती हैं।पहले तो बिजली और सड़क के अभाव के कारण भी सुदूर इलाकों में 
अस्पताल नहीं खुल पा रहे थे।अब इन दोनों मामलों में विकास हो रहा  है।
एक न्यूनत्तम पक्की आय की संभावना भी पहले कम ही थी।
अब यह नयी योजना ही आय की संभावना बढ़ा देगी।
वैसे भी प्रादेशिक राजधानियों में राष्ट्रीय स्तर के अस्पताल समूहों के जाल फैलते जाने के कारण छोटे अस्पतालों के अर्ध ग्रामीण इलाकों में फैलने की मजबूरी भी होगी।
पर बिजली -सड़क की तरह ही यदि बिहार  सरकार कानून -व्यवस्था की स्थिति को  थोड़ा और बेहतर कर दे तो  अधिकाधिक संख्या में निजी अस्पताल खुलने की संभावना और बढ़ जाएगी।
  इन अस्पतालों से न सिर्फ अधिकाधिक लोगों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा की सुविधा पहुंचेगी बल्कि प्रमंडल स्तर पर स्थित बड़े सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का दबाव भी घटेगा। 
  
ऋषिकेश की गंगा कब पहुंचेगी पटना ?---
 केंद्र सरकार नेपाल की शारदा नदी उर्फ महा काली के अतिरिक्त पानी को यमुना नदी में लाने की कोशिश में लग गयी है।दोनों नदियों को जोड़ने से ऐसा संभव है।
यदि इस प्रस्ताव को कार्य रूप दिया जा सका तो इससे सूखती यमुना नदी का तो कुछ भला हो ही जाएगा। 
पर ऋषिकेश के औषधीय गुण वाले गंगा जल को पटना और उससे आगे  तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार क्या कर रही है।
गंगा की अविरल धारा में बीच की बाधाओं को क्या कभी दूर किया जा सकेगा ?
गंगा को अविरल बनाये बिना उसे निर्मल बनाने का सपना साकार नहीं हो सकता।
शुद्ध सत्तू के उत्पादन की उम्मीद--- 
मोतिहारी जेल में सत्तू,सरसों तेल और मसालों के उत्पादन की योजना बन रही है।
 यदि सचमुच उत्पादन शुरू हुआ और गुणवत्तापूर्ण सामग्री तैयार होने लगीं तो उसकी बिक्री जेल के बाहर भी होगी।खूब होगी।
यह एक अच्छा अवसर है।
मेरी जानकारी के अनुसार आज कहीं भी चने का शुद्ध सत्तू बिक्री
के लिए उपलब्ध नहीं है। यदि कहीं है भी तो मुझे नहीं मालूम।
कुछ व्यापारी तो साफ -साफ कह देते हैं कि 
यदि हम शुद्ध बनाएंगे तो मुनाफा कौन कहे,  घोटा होगा।
  यदि मोतिहारी जेल में शुद्ध सत्तू बनने लगे तो कमाल हो जाएगा।जेल की आय बढ़ जाएगी क्योंकि उस सत्तू की राज्य भर से भारी मांग हो सकती है। 
सत्तू के उत्पादन और बिक्री के काम में लगे लोगों के लिए यदि ‘घोटाला क्षतिपूत्र्ति भत्ता’ का प्रबंध कर दिया जाए तो उसकी शुद्धता शायद बनी रह सकती है।
घोटाला क्षतिपूत्र्ति भत्ता यानी ऐसे व्यवसाय में घोटाले के जरिए जो नाजयज कमाई होती है,उतनी राशि विश्ेाष प्रोत्साहन भत्ता के रूप में सरकार उन्हंे देने लगे तो सत्तू की शुद्धता शायद बनी रह सकती है।हालांकि यह भी देखा गया है कि लालच की कोई सीमा नहीं होती है।
कुछ डाक्टर तो नन-प्रैक्टिसिंग भत्ता भी लेते हैं और प्रायवेट  प्रैक्टिस भी करते हैं।हालांकि एक जेल जैसी छोटी जगह पर घोटाले पर काबू पाना आसान होगा, यदि अफसर चाहें।ं शुद्ध उत्पादन के ऐसे काम में लगे अफसरों का  नाम भी होगा।
भारत-नेपाल खुली सीमा आतंकियों के लिए अनुकूल ----- 
इंडियन मुजाहिदीन के दो आतंकी तौकिर और जुनैद की गिरफ्तारी के बाद यह पता चला कि इन्हें नेपाल स्थित एक इस्लामी संगठन से मदद मिल रही थी।
तौकिर और जुनैद पर भारत के कई शहरों में धमाके करने का आरोप है।
याद रहे कि सिमी पर प्रतिबंध लग जाने के बाद उसके सदस्यों ने इंडियन मुजाहिददीन का गठन किया।
सिमी का उद्देश्य हथियार के बल पर इस देश में इस्लामी शासन कायम करने का था।आई एम कव भी वही लक्ष्य  है।इसके बावजूद इस देश के कई राजनीतिक दलों के बड़े बड़े नेतागण सिमी को ‘छात्रों का निर्दोष संगठन’ बताते रहे।
खैर अब इस देश को खतरा नेपाल स्थित उस संगठन से है जो  इस देश के आतंकियों को शरण व मदद दे रहा है।
भारत की सुरक्षा व जांच एजेंसियांें की परेशानी बढ़ी हुई हें
खुली सीमा के कारण आतंकियों को नेपाल में प्रवेश पाने या वहां से आकर इस देश में आंतकी गतिविधियां करने में काफी सुविधा हो जाती है।अब जब नेपाल में चीन समर्थक कम्युनिस्ट सरकार बन चुकी है,भारत की चिंता बढ़नी स्वाभाविक है।
 वैसे तो काम कठिन है ।पर  भारत की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए खुली सीमा की पुरानी व्यवस्था पर एक न एक दिन भारत को पुनर्विचार करना ही पड़ेगा।
अधिक नहीं तो थोड़ी और चैकसी तो तत्काल बढ़ानी ही पड़ेगी। 
   एक भूली बिसरी याद-----
आज डा.राम मनोहर लोहिया का जन्म दिन है।
पर वे अपना जन्म दिन खुद नहीं मनाते थे।
क्योंकि 23 मार्च को ही सरदार भगत सिंह को फांसी दी गयी थी।कहते थे कि ऐसे शोक दिवस पर अपना जन्म दिन क्या मनाना !
पर, उनके लोग तो उन्हें याद करते ही है।
इस अवसर पर उनके एक ‘वोट घटाऊ’ बयान की मैं याद दिला रहा  हूं।
स्वाभाविक ही है कि चुनाव के वक्त कोई नेता भूल कर भी ऐसा बयान नहीं देता जिससे उसका वोट घटे।या घटने की  आशंका भी हो।पर लोहिया तो अलग ढंग के नेता थे।
1967 में डा. लोहिया उत्तर प्रदेश के कन्नौज से लोक सभा का चुनाव लड़ रहे थे।
उन्हीं दिनों उन्होंने यह बयान दे दिया कि देश में सामान्य नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए।बयान अखबारों में छपा।
 इस पर समाजवादी कार्यकत्र्ता भी परेशान हो गए।उनको लगा कि अब तो मुसलमान मतदाता लोहिया को वोट नहीं ही देंेगे।नतीतजन वे हार जाएंगे।
जबकि लोहिया का संसद में जाना जरूरी है।
1963 से 1966 तक लोक सभा में उन्होंने बहुत प्रभाव छोड़ा था।उससे उनकी पार्टी का फैलाव भी हुआ था।
  उन दिनों समाजवादी कार्यकत्र्ता भी लोहिया से खुल कर बात करते थे।
एक समाजवादी नेता ने उनसे सवाल कर दिया, ‘ डाक्टर साहब, आपने ऐसा बयान क्यांे दे दिया ?
अब तो चुनाव में आपको मुश्किल होगी।’
इस पर लोहिया ने जो जवाब दिया,उस पर  ध्यान देने लायक है।उन्होंने कहा कि राजनीति संसद का सदस्य बनने के लिए नहीं की जाती है।मैं जिस बात को सही समझता हूं,उसे वोट के लालच में नहीं कहूं,? यह मुझसे नहीं होगा।
इस बयान के कारण  लोहिया उस चुनाव में सिर्फ चार सौ मतों से ही विजयी हो सके थे। 
     और अंत मंे----
ताजा खबर के अनुसार भारत में 30 करोड़ लोग हर दिन भूखे पेट सोने को मजबूर हैं।
उन तीस करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व व चिंता करने वाले जन प्रतिनिधियों की संख्या दिन प्रति दिन कम ही होती जा रही है।इस बार राज्य सभा की 58 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव हो रहा है।इनके उम्मीदवारों में से 87 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति हैं।
@मेरे काॅलम कानोंकान -प्रभात खबर-बिहार-23 मार्च 2018 से@

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