शनिवार, 17 मार्च 2018

पूर्व मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने हाल में कहा  कि परीक्षा में थोड़ा बहुत पूछ लेना नकल नहीं।
योगी सरकार के नकल विरोधी अभियान की आलोचना करते हुए अखिलेश ने यह भी कहा कि ‘90 प्रतिशत लोगों ने अपने छात्र जीवन में परीक्षा में थोड़ी -बहुत पूछताछ की होगी।मैंने भी की है।’
 इस बयान के बाद यह सवाल उठता है कि क्या फूल पुर-गोरख पुर लोस उप चंुनाव पर भी सरकार के नकल विरोधी कदमों का असर पड़ा है ?क्या  भाजपा उम्मीदवारों की हार का यह भी एक कारण रहा ?
1992 में कल्याण सिंह सरकार ने  नकल विरोधी कानून बनाया था।कानून बहुत कड़ा था।
मुलायम सिंह यादव ने 1993 के  उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया।
उसका चुनावी लाभ भी सपा को मिला।कल्याण सिंह की पार्टी सत्ता से बाहर हो गयी।
इन दिनों पूरे देश में नकल माफिया सक्रिय हैं।इससे प्रतिभाओं का बड़े पैमाने पर हनन हो रहा है।
फिर भी देश की अधिकतर सरकारें कारगर कार्रवाई नहीं कर पा रही हैं।
क्योंकि उन्हें चुनाव हारने का डर है।
कहां जा रहा है अपना देश ? ़ 

कोई टिप्पणी नहीं: