कल्याण सिंह की पोती की खर्चीली शादी की खबर पढ़कर मुझे कर्पूरी ठाकुर की पुत्री की शादी याद आ गयी।
1971 की बात है।
तब कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्य मंत्री थे।
उन्होंने दरभंगा जिला स्थित अपने गांव पितांैझिया में अपनी पुत्री की शादी की।उन्होंने अपने मंत्रिमंडल के किसी सदस्य तक को नहीं बुलाया था।
साथ ही उन्होंने मुख्य सचिव को सख्त दे निदेश दिया था कि मेरी पूर्व अनुमति के बिना सहरसा और दरभंगा हवाई अड्डे पर बिहार सरकार का कोई विमान नहीं उतरेगा।
कर्पूरी जी को लगा था कि अंतिम समय में सूचना मिल जाने पर शायद उनके मंत्री और अफसर वहां पहुंचने की कोशिश करें।
उससे पहले शादी तय करने के लिए कर्पूरी जी जब अपने
भावी दामाद के गांव गए तो रांची से वे टैक्सी से उनके गांव गए थे।सरकारी गाड़ी से नहीं।
तब बिहार एक ही था।उधर कल्याण सिंह के यहां शादी पर जो भारी खर्च हुआ,उसके जरिए देश के उन करोड़ों गरीबों के जले पर नमक छिड़का गया जो अपने लिए दोनों जून के लिए भोजन नहीं जुटा पाते।
क्या नरेंद्र मोदी अपने दल के सत्ताधारी नेताओं से अपील करेंगे कि वे शादियों में शामिल होने के लिए कम से कम सरकारी वाहनों का इस्तेमाल न करें ?
@12 मार्च 2018@
1971 की बात है।
तब कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्य मंत्री थे।
उन्होंने दरभंगा जिला स्थित अपने गांव पितांैझिया में अपनी पुत्री की शादी की।उन्होंने अपने मंत्रिमंडल के किसी सदस्य तक को नहीं बुलाया था।
साथ ही उन्होंने मुख्य सचिव को सख्त दे निदेश दिया था कि मेरी पूर्व अनुमति के बिना सहरसा और दरभंगा हवाई अड्डे पर बिहार सरकार का कोई विमान नहीं उतरेगा।
कर्पूरी जी को लगा था कि अंतिम समय में सूचना मिल जाने पर शायद उनके मंत्री और अफसर वहां पहुंचने की कोशिश करें।
उससे पहले शादी तय करने के लिए कर्पूरी जी जब अपने
भावी दामाद के गांव गए तो रांची से वे टैक्सी से उनके गांव गए थे।सरकारी गाड़ी से नहीं।
तब बिहार एक ही था।उधर कल्याण सिंह के यहां शादी पर जो भारी खर्च हुआ,उसके जरिए देश के उन करोड़ों गरीबों के जले पर नमक छिड़का गया जो अपने लिए दोनों जून के लिए भोजन नहीं जुटा पाते।
क्या नरेंद्र मोदी अपने दल के सत्ताधारी नेताओं से अपील करेंगे कि वे शादियों में शामिल होने के लिए कम से कम सरकारी वाहनों का इस्तेमाल न करें ?
@12 मार्च 2018@
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