मेरठ के अजय मित्तल की ‘दोमुंही बात’ शीर्षक के तहत ‘राष्ट्रीय सहारा’ में चिट्ठी छपी है।उसे यहां हू ब हू प्रस्तुत कर रहा हूं।
‘ अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर फिल्म पद्मावती के विरोधियों के खिलाफ शबाना आजमी और जावेद अख्तर ताल ठोक कर मैदान में उतरे हुए हैं।
दो साल पूर्व ईरानी फिल्म निर्माता माजिद मजीदी की बनाई ‘मोहम्मद ः मैसेेंजर आॅफ गाॅड’ भारत में प्रदर्शित की जाने वाली थी।
उसमें ए.आर..रहमान का संगीत था।
मुल्ला -मौलवियों तथा रूढि़वादियों ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
उस समय अभिव्यक्ति की आजादी की पुकार न सिर्फ अनसुनी कर ,बल्कि ठोकर मार कर शबाना-जावेद ने ट्वीट किया था कि मुस्लिमों की भावनाएं आहत करने वाली फिल्म नहीं बनाई जानी चाहिए।’ @2017@
‘ अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर फिल्म पद्मावती के विरोधियों के खिलाफ शबाना आजमी और जावेद अख्तर ताल ठोक कर मैदान में उतरे हुए हैं।
दो साल पूर्व ईरानी फिल्म निर्माता माजिद मजीदी की बनाई ‘मोहम्मद ः मैसेेंजर आॅफ गाॅड’ भारत में प्रदर्शित की जाने वाली थी।
उसमें ए.आर..रहमान का संगीत था।
मुल्ला -मौलवियों तथा रूढि़वादियों ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
उस समय अभिव्यक्ति की आजादी की पुकार न सिर्फ अनसुनी कर ,बल्कि ठोकर मार कर शबाना-जावेद ने ट्वीट किया था कि मुस्लिमों की भावनाएं आहत करने वाली फिल्म नहीं बनाई जानी चाहिए।’ @2017@
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