शुक्रवार, 9 मार्च 2018

---प्रश्न पत्र लीक निरोधक मंत्रालय क्यों नहीं ?--


प्रश्न पत्र लीक घोटालों ने इस देश में महामारी का रूप धारण  कर लिया है।
  ये घोटाले इस देश की व्यवस्था को दीमक की तरह चाट रहे हंै। पुलिस-प्रशासन उनके सामने लाचार नजर आ रहा है। साठगांठ है या अक्षमता ?
 जहां देखिए, प्रतियोगिता परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक हो जा रहे हैं।
सामान्य परीक्षाओं में भी प्रश्न पत्र लीक और भारी  कदाचार की समस्या अत्यंत गंभीर है।असली प्रतिभाएं कुंठित हो रही हैं।भ्रष्ट और धनपशुओं की संतानें इस व्यवस्था में लाभान्वित हो रही हैं।
 यह माना जाता था कि सामान्य परीक्षाओं से निकले 
उम्मीदवारों को नौकरी देने से पहले जांच परीक्षा तो होगी।उनमें अयोग्य छंट जाएंगे।
पर जब जांच व प्रतियोगी परीक्षाओं के भी  प्रश्न पत्र  लीक हो जाएं तो इस देश का भगवान ही मालिक है।
मेडिकल व इंजीनियरिंग कालेजों में प्रवेश के लिए हो रही   प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार  प्रश्न पत्र भी आए दिन लीक हो जाते हैं।नतीजतन न जाने इस विधि से कितने अयोग्य डाक्टर व इंजीनियर इस देश में हर साल तैयार हो रहे हैं।उनसे अलग तरह के खतरे हैं।गंभीर स्थिति बन रही है।
 याद रहे कि मेडिकल-इंजीनियरिंग कालेजों की वार्षिक परीक्षाओं में भी भारी कदाचार की खबरें आती रहती हैं।
 सीमाओं की रक्षा के लिए  हमने रक्षा मंत्रालय बना रखा है।पर क्या प्रश्न-पत्र लीक करने वाले प्रतिभा द्रोहियों यूं कहें कि देश द्रोहियों से कारगर मुकाबले के लिए सरकार को अलग से कोई मंत्रालय नहीं बनाना  चाहिए ?
पूरे सिस्टम में फैले परीक्षा पेपर लीक माफिया इतने ताकतवर हो चुके हैं कि उनसे निपटने के लिए कोई बड़ा व कारगर उपाय तो करना ही होगा अन्यथा यह देश एक दिन पूरी तरह कदाचार के कुत्तों के हाथों में चला जाएगा।   
 आजादी के बाद लोक उपक्रम बनाये गये थे।उसका एक छिपा उद्देश्य यह भी था कि नेताओं और अफसरों की अयोग्य संतानों और उनके लगुए-भगुए को  उनमें बड़े -बड़े पद दे दिए जाएंगे।
हालांकि उसके कुछ अपवाद भी थे।
पर जब भ्रष्टाचार और अयोग्यता-अक्षमता के कारण लोक उपक्रम एक -एक करके समाप्त होते चले गए तो महा प्रभुओं व धन पशुओं की  अयोग्य संतानों को खपाने के लिए प्रश्न पत्र लीक प्रचलन शुरू हुआ।क्या इस आरोप में दम नहीं है ?याद रहे कि सत्तावान लोगों के एक बड़े हिस्से की साठगांठ के बिना प्रश्न पत्र लीक का धंधा अधिक दिनोंं तक नहीं चल सकता था।पर चल तो रहा है ! बढ़ता जा रहा है।हम देख सकते हैं कि ऐसे घोटालों में आई.ए.एस.अफसर भी जेल जा रहे हैं। फिर भी धंधा जारी है।क्योंकि इसमें खतरा कम और मुनाफा अािक है।मुनाफा कम हो सकता है यदि ऐसे धंधे में लगे लोगों के लिए सजा की अवधि बढ़ा दी जाए। 

कोई टिप्पणी नहीं: