रविवार, 25 मार्च 2018

 विजय वाडा के निकट कृष्णा नदी के किनारे 217 वर्ग किलोमीटर  क्षेत्र में ‘अमरावती’ का निर्माण शुरू हो रहा   है।अब तक उस पर 1582 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।
अमरावती को सिंगा पुर की तर्ज पर बनाया जा रहा है जो आंध्र प्रदेश की राजधानी होगी।  देवताओं के राजा इंद्र की राजधानी का नाम भी अमरावती ही था।
 अपने देश के अधिकतर नेता जब सत्ता पा जाते हैं तो खुद को इंद्र से कम नहीं समझते।अन्यथा एक गरीब देश में एक सिंगा पुर बसाने की अभी जरूरत ही क्या थी ?
पहले पूरे देश या राज्य  को तो सिंगा पुर बनाने की कोशिश करो , फिर राजधानी तो वैसी हो ही जाएगी। 
 2015 में पंडितों ने मुख्य मंत्री चंद्र बाबू नायडु को यह सलाह दी थी कि इं्रद्र ने अपनी अमरावती बसाने से ठीक पहले जिस तरह का विशाल यज्ञ करवाया था,उसी तरह का यज्ञ आप भी करवाइए।
पता नहीं, नायडु ने वह सलाह मानी थी या नहीं । 
 पर, अमरावती के निर्माण के बीच में ही आंध्र के मुख्य मंत्री  ने केंद्र सरकार व राजग से अपना नाता तोड़ लिया।
 सवाल है कि करीब एक लाख करोड़ रुपए की लागत से निर्माणाधीन महा नगर के निर्माण की गति का अब क्या होगा ?
  दरअसल नायडु को राजधानी से  अधिक अभी मुस्लिम वोट की चिंता हो गयी लगती है।करीब एक साल बाद लोक सभा -आंध्र विधान सभा का चुनाव होने वाला है।
2014 में तो मोदी लहर में तो वे जीत गए थे, पर अब ?
अब मोदी का पहले जैसा ‘जलवा’ नहीं है।
अब तो एक -एक वोट का महत्व बढ़ गया है।उधर जगनमोहन रेड्डी ने अलग से नायडु को राजनीतिक 
परेशानी में डाल रखा है।
2004 के चुनाव के समय  राजग में बने रहने का नुकसान नायडु उठा चुके हैं।
 लगता है कि  अब नहीं उठाना चाहते !
गुजरात दंगे के बाद आंध्र के मुस्लिम नेताओं ने नायडु से कहा था कि वे राजग से नाता तोड़ लें।पर उस समय नायडु ने बात नहीं मानी।इस बार तो देश के अधिकतर मुस्लिम मतदातागण नरेंद्र मोदी के खिलाफ अधिक आक्रामक हैं।बिहार के हाल के अररिया लोक सभा उप चुनाव का रिजल्ट सामने है।
अररिया के भीतर के छह विधान सभा खंडों में से सिर्फ दो मुस्लिम बहुल खंडों में भारी मतदान  कर राजद के मुस्लिम उम्मीदवार को जितवा दिया।बाकी चार विधान सभा खंडों मंें राजग को राजद से अधिक वोट मिले थे।
ऐसे में बेचारे नायडु करें तो क्या करें !

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