सोमवार, 26 मार्च 2018

 हिंदी के प्रथम वैज्ञानिक वैयाकरण आचार्य किशोरी दास वाजपेयी की एक चिट्ठी साप्ताहिक ‘दिनमान’@ 10 मार्च 1968@ के ‘मत और सम्मत’ काॅलम में छपी थी।
आज पुराने अंक उलटने के सिलसिले में उस पर मेरी नजर पड़ी।राजीव जी की शादी के तत्काल बाद यह चिट्ठी लिखी गयी थी।
उसे हूं ब हू यहां प्रस्तुत कर रहा हूं।
 ‘राजीव-सोन्या को असीस- सोन्या नाम ऐसा है कि  हमें अजनबी नहीं लगता। जान पड़ता है कि किसी भारतीय लड़की का ही नाम है। फिर सोन्या का रत्न से मेल--सोने की अंगूठी में कीमती नग-पोखराज।
 परंतु ‘रत्न’ को नापसंद क्यों किया गया ?
हमने सर्वत्र इन दिनों राजीव गांधी नाम छपा पढ़ा।परंतु नाम है राजीवरत्न गांधी।यह नाम आचार्य नरेंद्र देव का रखा हुआ है।
नेहरू जी ने उनसे अपने इस प्रथम दौहित्र का नाम रखने की प्रार्थना की और कहा कि नाम ऐसा रखिए कि भारतीयता प्रकट हो और बच्चे की नानी और नाना के नाम भी झलकें।
 नेहरू जी प्रार्थना के अनुसार आचार्य नरेंद्र देव ने बच्चे का नाम रखा-राजीव रत्न ।यह सब अखबारों में छपा था।
राजीव कहते हैं कमल को, जिससे कमला @बच्चे की नानी@का स्मरण और रत्न माने जवाहर ।यों राजीव रत्न नाम बच्चे का रखा गया जिसे सोन्या मिली है।
 परंतु इन दिनों नाम केवल राजीव गांधी छपा है, रत्न हटा कर।बिना रत्न के ‘राजीव’ @सोन्या से@कुछ चस्पा नहीं हुआ।सो पूरा नाम चाहिए-राजीवरत्न गांधी। 




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