उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा में अन्य उपायांे के
साथ -साथ इस बार सी.सी.टी.वी.कैमरों का भी खूब इस्तेमाल किया गया।
खबर है कि इसका सकारात्मक असर पड़ा है।
परीक्षा केद्रों के सभी कमरों में सी.सी.टी.वी.कैमरे लगाए गए।
प्रधानाध्यापक के आॅफिस में लगे सी.सी.टी.वी.माॅनिटर के जरिए परीक्षार्थियों पर कड़ी नजर रखी गयी।
जब भी कहीं से कदाचार के संकेत मिले तो माइक के जरिए वहां मौजूद शिक्षकों को सचेत कर दिया गया।
परीक्षा शुरू होने के एक घंटे पहले और समाप्त होने के एक घंटे बाद तक की रिकाॅर्डिंग ‘सेव’ कर लेने का आदेश पहले ही दे दिया गया था।
कैमरे और अन्य तरह की कड़े प्रबंधों के कारण करीब 11 लाख से अधिक परीक्षार्थियांे को इस बार परीक्षा छोड़ देनी पड़ी । पहले तो उन्हें उम्मीद थी कि नकल तो इस बार भी होगी ही।फिर पढ़ने की जरूरत नहीं हैं।उन्होंने पढ़ाई नहीं की थी।अब वे कैमरे के सामने नकल तो कर नहीं सकते थे।
इस साल के अनुभव के बाद अब अगले साल परीक्षार्थी नकल के भरोसे नहीं रहेंगे।अगली परीक्षा से पहले वे पढ़ाई करेंगे।
बिहार सरकार को भी हर तरह की परीक्षा के अवसर पर परीक्षा केंद्रों में सी.सी.टी.वी.कैमरे लगाने चाहिए।तभी यहां से न सिर्फ योग्य स्नातक बल्कि योग्य इंजीनियर और डाॅक्टर भी निकलेंगे।राज्य की छवि बेहतर बनेगी।
ऐसे युगांतरकारी कामों के लिए सी.सी.टी.वी.कैमरे पर होना वाला कितना भी खर्च व्यर्थ नहीं जाएगा।
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