लोग पूछते हैं कि भइर्, ये स्कूटर पर सांड ढोने
वाली कहानी क्या है ?
कब की है ?
हाल में मुझे अपनी आलमारी में सी.ए.जी.रपट की एक फोटो काॅपी मिल गयी।
रपट के अनुसार यह कहानी 1985 की है। 6 दिसंबर, 1985 को रांची से एक स्कूटर चला।
उस पर चार सांड़ लादे गए थे !
344 किलोमीटर की दूरी तय करके घागरा@घागरा शब्द फोटोकाॅपी में अस्पष्ट है@पहुंचा।
बिल बना 1285 रुपए का।बिल पास हुआ।भुगतान भी हो गया।
स्कूटर का नंबर भी दर्ज है।पर फोटो काॅपी में अस्पष्ट है।
वैसे उस सी.ए.जी.रपट के अनुसार ऐसी अनेक करामातें की गयीं।यह तो मैंने एक नमूना के लिए दिया।
जैसे उसी साल मई में एक कार में रांची से झिंकपानी तक चार सांड ढोए गए।बिल बना 1310 रुपए का।
यह है चारा घोटाले की अनोखी कहानी का एक बहुत ही छोटा नमूना।
याद रहे कि 1985 में लालू प्रसाद की सरकार नहीं थी।
वाली कहानी क्या है ?
कब की है ?
हाल में मुझे अपनी आलमारी में सी.ए.जी.रपट की एक फोटो काॅपी मिल गयी।
रपट के अनुसार यह कहानी 1985 की है। 6 दिसंबर, 1985 को रांची से एक स्कूटर चला।
उस पर चार सांड़ लादे गए थे !
344 किलोमीटर की दूरी तय करके घागरा@घागरा शब्द फोटोकाॅपी में अस्पष्ट है@पहुंचा।
बिल बना 1285 रुपए का।बिल पास हुआ।भुगतान भी हो गया।
स्कूटर का नंबर भी दर्ज है।पर फोटो काॅपी में अस्पष्ट है।
वैसे उस सी.ए.जी.रपट के अनुसार ऐसी अनेक करामातें की गयीं।यह तो मैंने एक नमूना के लिए दिया।
जैसे उसी साल मई में एक कार में रांची से झिंकपानी तक चार सांड ढोए गए।बिल बना 1310 रुपए का।
यह है चारा घोटाले की अनोखी कहानी का एक बहुत ही छोटा नमूना।
याद रहे कि 1985 में लालू प्रसाद की सरकार नहीं थी।
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