दैनिक जागरण की खबर के अनुसार पटना के महावीर मंदिर की सालाना आय करीब 10 करोड़ रुपए है।
उत्तर भारत में जम्मू के वैष्णो देवी मंदिर के बाद सबसे अधिक आय इसी मंदिर की है।
ऐसा महावीर मंदिर प्रबंधन की ईमानदारी व पारदर्शिता के कारण संभव होता है।इस पारदर्शिता के पीछे सेवा निवृत आई.पी.एस.अधिकारी किशोर कुणाल का योगदान है।
ऐसा नहीं है कि देवघर मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर की वास्तविक आय पटना के महावीर मंदिर कम होती है।पर वहां कम आय घोषित की जाती है।
पटना के महावीर मंदिर की आय से कई अच्छे अस्पतालों का संचालन होता है।महावीर कैंसर अस्पताल में मरीजों को मुफ्त भोजन मिलता है।
सामान्य मरीजों को भर्ती होते ही दस हजार रुपए व गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले मरीज को 15 हजार रुपए इलाज के लिए दिए जाते हैं।
दरअसल महावीर मंदिर प्रबंधन जो कुछ कर रहा है ,वह लोगों की धार्मिक भावनाओं का सदुपयोग है।
चढावा देने वालों को यह लगता होगा कि उनके पैसों का सदुपयोग लाचार मरीजों की सेवा में होता है।
नैवेद्यम के बारे में मेरी राय बहुत अच्छी है।मेरा मानना है कि बाजार में जो भी मिठाइयां बिकती हंै,उनकी शुद्धता के बारे में आप आश्वस्त नहीं हो सकते।
पर नैवेद्यम की तो बात ही कुछ और है।
कई बार अतिथि जब बाजार की कोई मिठाई खरीद कर मेरे घर आते हैं तो मैं इच्छा रहते हुए भी उसे नहीं खाता।
मेरे मन में सवाल उठता है कि वे महावीर मंदिर से नैवेद्यम क्यों नहीं लाते ?
पर ऐसा उन्हें मैं कैसे कह सकता हूं ! मत कहिएगा कि मैं
महावीर मंदिर के नैवेद्यम का प्रचार कर रहा हूं।मैंने तो बस लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा की दृष्टि से यह सब लिख दिया।
@ 25 मार्च 2018@
उत्तर भारत में जम्मू के वैष्णो देवी मंदिर के बाद सबसे अधिक आय इसी मंदिर की है।
ऐसा महावीर मंदिर प्रबंधन की ईमानदारी व पारदर्शिता के कारण संभव होता है।इस पारदर्शिता के पीछे सेवा निवृत आई.पी.एस.अधिकारी किशोर कुणाल का योगदान है।
ऐसा नहीं है कि देवघर मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर की वास्तविक आय पटना के महावीर मंदिर कम होती है।पर वहां कम आय घोषित की जाती है।
पटना के महावीर मंदिर की आय से कई अच्छे अस्पतालों का संचालन होता है।महावीर कैंसर अस्पताल में मरीजों को मुफ्त भोजन मिलता है।
सामान्य मरीजों को भर्ती होते ही दस हजार रुपए व गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले मरीज को 15 हजार रुपए इलाज के लिए दिए जाते हैं।
दरअसल महावीर मंदिर प्रबंधन जो कुछ कर रहा है ,वह लोगों की धार्मिक भावनाओं का सदुपयोग है।
चढावा देने वालों को यह लगता होगा कि उनके पैसों का सदुपयोग लाचार मरीजों की सेवा में होता है।
नैवेद्यम के बारे में मेरी राय बहुत अच्छी है।मेरा मानना है कि बाजार में जो भी मिठाइयां बिकती हंै,उनकी शुद्धता के बारे में आप आश्वस्त नहीं हो सकते।
पर नैवेद्यम की तो बात ही कुछ और है।
कई बार अतिथि जब बाजार की कोई मिठाई खरीद कर मेरे घर आते हैं तो मैं इच्छा रहते हुए भी उसे नहीं खाता।
मेरे मन में सवाल उठता है कि वे महावीर मंदिर से नैवेद्यम क्यों नहीं लाते ?
पर ऐसा उन्हें मैं कैसे कह सकता हूं ! मत कहिएगा कि मैं
महावीर मंदिर के नैवेद्यम का प्रचार कर रहा हूं।मैंने तो बस लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा की दृष्टि से यह सब लिख दिया।
@ 25 मार्च 2018@
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