बुधवार, 14 मार्च 2018


  25 साल पहले आज ही के दिन हुए मुम्बई में भीषण सिरियल ब्लास्ट हुए।उसका सर्वाधिक शर्मनाक पहलू भी सामने आया था।
  वह यह था कि कस्टम और पुलिस के कुछ अफसरों ने दाउद इब्राहिम से साठगांठ के कारण पैसे लेकर  3500 किलोग्राम आरडीएक्स  की तस्करी इस देश में होने दी।
ब्लास्ट के लिए उसमें से करीब 700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया।
करीब 300 जानें गयीं और सैकड़ों घायल हुए।अर्थ व्यवस्था को भारी क्षति पहुंची थी।
 चांदी तथा अन्य सामान की तस्करी में पहले से लगे स्मगलर प्रति डोंगी पहले 300 रुपए कस्टम वालों को घूस देते थे।पर जब कस्टम व पुलिस अफसरों को यह पता चला कि इस बार अधिक ‘कीमती’ चीज आ रही है तो उन्होंने घूस की रेट बढ़ा दी। प्रति डोंगी 700 रुपए कर दी।
दाउद-टाइगर मेमन और उसके गैंग के लोग तो कोई भी राशि देने को तैयार थे।
जिन अफसरों ने तब जयचंदी भूमिका निभाई,उनमें कस्टम अधीक्षक एस.एस.ताल वाडेकर, कस्टम निरीक्षक जयवंत गौरव और पुलिस एस.आई.बी.के.पाटील प्रमुख थे।
आतंकियों के साथ उन्हें भी अदालत ने बाद में सजा दी।पर क्या बाद में ऐसी पक्की व्यवस्था इस देश के शासकों ने कर दी कि अब कोई फिर जयचंद की  भूमिका नहीं निभा सके ?
  पता नहीं !
@2018@

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