2015 के बिहार विधान सभा के चुनाव में भाजपा और जदयू को
अलग -अलग मिले मतों को जोड़ दें तो वह 41 दशमलव 2 प्रतिशत होता है।
उसी चुनाव में राजद-कांग्रेस के मतों का प्रतिशत कुल 25 दशमलव 1 था।
बिहार के उप चुनावों में इन्हीं गठबंधनों के बीच इस बार मुख्य मुकाबला है।
एक लोक सभा और दो विधान सभा चुनाव क्षेत्रों के चुनाव नतीजे आने हैं।
इनके नतीजे बताएंगे कि इन दलों के मतों में 2015 के बाद कितना फर्क आया है।
यह भी पता चलेगा कि लालू परिवार के खिलाफ कानूनी कार्रवाइयों पर मतदाताओं की कैसी प्रतिक्रियाएं है।राजद खास कर लालू प्रसाद के प्रति सहानुभूति बढ़ी है या घटी है ?
इन तीनों क्षेत्रों में सांसद-विधायकों के निधन के कारण उप चुनाव हुए हैं।
सहानुभूति वोट का कैसा असर होता होता है,चुनाव नतीजे यह भी बताएंगे।याद रहे कि दिवंगत जन प्रतिनिधियों के परिजन भी चुनाव मैदान में हैं।
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