-- एक भूली बिसरी याद ---
सर्वोदय नेता जय प्रकाश नारायण ने 1973 में अपने निजी आय-व्यय का विवरण प्रकाशित किया था।वह विवरण साप्ताहिक पत्रिका ‘एवरीमेन’ में छपा था।
जेपी के अनुसार रैमन मैगसेसे पुरस्कार के साठ हजार रुपए
बैंक में जमा हैं।उसके सूद से मेरा खर्च चलता है।
इसके अलावा सिताब दियारा की अपनी जमीन की पैदावार काम आती है।
फर्नीचर मुझे मेरे मित्र डा.ज्ञान चंद ने दिया है।
बाहर आने-जाने और कपड़ों का खर्च मेरे कुछ मित्र दे दिया करते हैं।
दरअसल तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की एक टिप्पणी के जवाब में जेपी ने अपने खर्चे का विवरण प्रकाशित किया था।
इंदिरा जी ने कहा था कि ‘जो लोग अमीरों से पैसे लेते हैं,उन्हें भ्रष्टाचार के बारे मंे बात करने का कोई अधिकार नहीं।’
इस पर जेपी ने यह भी लिखा था कि ‘अपना पूरा समय समाज सेवा में लगाने वाला ऐसा कार्यकत्र्ता जिसकी आय का अपना कोई स्त्रोत न हो ,अपने साधन संपन्न करीबी मित्रों की मदद के बिना काम नहीं कर सकता।अगर इंदिरा जी के मापदंड सब जगह लगाए जाएं तो गांधी जी सबसे भ्रष्ट व्यक्ति निकलेंगे क्योंकि उनके तो पूरे दल की सहायता उनके अमीर प्रशंसक ही करते थे।’
सर्वोदय नेता जय प्रकाश नारायण ने 1973 में अपने निजी आय-व्यय का विवरण प्रकाशित किया था।वह विवरण साप्ताहिक पत्रिका ‘एवरीमेन’ में छपा था।
जेपी के अनुसार रैमन मैगसेसे पुरस्कार के साठ हजार रुपए
बैंक में जमा हैं।उसके सूद से मेरा खर्च चलता है।
इसके अलावा सिताब दियारा की अपनी जमीन की पैदावार काम आती है।
फर्नीचर मुझे मेरे मित्र डा.ज्ञान चंद ने दिया है।
बाहर आने-जाने और कपड़ों का खर्च मेरे कुछ मित्र दे दिया करते हैं।
दरअसल तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की एक टिप्पणी के जवाब में जेपी ने अपने खर्चे का विवरण प्रकाशित किया था।
इंदिरा जी ने कहा था कि ‘जो लोग अमीरों से पैसे लेते हैं,उन्हें भ्रष्टाचार के बारे मंे बात करने का कोई अधिकार नहीं।’
इस पर जेपी ने यह भी लिखा था कि ‘अपना पूरा समय समाज सेवा में लगाने वाला ऐसा कार्यकत्र्ता जिसकी आय का अपना कोई स्त्रोत न हो ,अपने साधन संपन्न करीबी मित्रों की मदद के बिना काम नहीं कर सकता।अगर इंदिरा जी के मापदंड सब जगह लगाए जाएं तो गांधी जी सबसे भ्रष्ट व्यक्ति निकलेंगे क्योंकि उनके तो पूरे दल की सहायता उनके अमीर प्रशंसक ही करते थे।’
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