इतिहास-क्या सच ,क्या झूठ
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1.-1975 में तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की
समस्तीपुर में हत्या कर दी गयी।
बिहार पुलिस ने अरूण कुमार मिश्र और अरूण कुमार ठाकुर को गिरफ्तार किया।उन दोनों ने धारा -164 के तहत न्यायिक अधिकारी के समक्ष बयान दिया।कहा कि उसने बड़ी हस्ती के कहने पर मिश्र की हत्या की।
हत्या के तार दिल्ली तक जुड़ते थे।
उस बयान के तुरंत बाद सी.बी.आई.निदेशक दौड़े -दौड़े समस्ती पुर पहुंचे ।उन्होंने बिहार सरकार की किसी सिफारिश के बिना ही केस के अनुसंधान की जिम्मेदारी संभाल ली।दोनों अरूण रिहा कर दिए गए।
उनके बदले आनंद मार्गियों को पकड़कर उन्हें लोअर कोर्ट से सजा दिलवा दी गई।
डा.जगन्नाथ मिश्र और विजय कुमार मिश्र ने कोर्ट मंे बयान दिए कि ललित बाबू का आनंदमार्गियों से कोई झगड़ा नहीं था।
अब आप ही बताइए कि सौ साल के बाद आने वाली पीढ़ी जब दोनों बातें पढ़ेगी तो किस नतीजे पर पहुंचेगी ?
2.-करीब दस साल पहले समझौता एक्सप्रेस कांड हुआ।पुलिस ने अजमत अली नामक एक पाकिस्तानी नागरिक को पकड़ा।
उसने अपना गुनाह भी कबूल किया।
पर ऊपरी दबाव में अजमत को रिहा करके असीमानंद को पकड़ लिया गया।
कुछ लेखक कहते हैं कि अजमत दोषी है।कुछ अन्य लेखक कहते हैं कि असीमानंद।सौ साल बाद की हमारी पीढ़ी किस नतीजे पर पहुंचेगी ?
3.-मोतीलाल नेहरू पेपर्स के आधार पर कुछ लोग लिख रहे हैं कि भारत की राजनीति में वंशवाद की शुरूआत मोतीलाल ने की।उन्होंने गांधी को लगातार तीन पत्र लिख कर अपनी जगह अपने पुत्र को 1929 में कांग्रेस अध्यक्ष बनवा दिया।
पर एक लेखक की किताब के अनुसार भारत की राजनीति में वंशवाद की शुरूआत सिंधिया परिवार ने की।
अब सौ साल बाद की पीढ़ी किसे सच मानेगी ?
अंत में
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ताजा इतिहास को लेकर तो विभिन्न लेखकों ने इतना कंफ्यूजन फैला रखा है।
कल्पना कीजिए कि मध्य काल के भारत का जो इतिहास उपलब्ध हैं,उसके साथ क्या-क्या किया गया होगा !!!
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1.-1975 में तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की
समस्तीपुर में हत्या कर दी गयी।
बिहार पुलिस ने अरूण कुमार मिश्र और अरूण कुमार ठाकुर को गिरफ्तार किया।उन दोनों ने धारा -164 के तहत न्यायिक अधिकारी के समक्ष बयान दिया।कहा कि उसने बड़ी हस्ती के कहने पर मिश्र की हत्या की।
हत्या के तार दिल्ली तक जुड़ते थे।
उस बयान के तुरंत बाद सी.बी.आई.निदेशक दौड़े -दौड़े समस्ती पुर पहुंचे ।उन्होंने बिहार सरकार की किसी सिफारिश के बिना ही केस के अनुसंधान की जिम्मेदारी संभाल ली।दोनों अरूण रिहा कर दिए गए।
उनके बदले आनंद मार्गियों को पकड़कर उन्हें लोअर कोर्ट से सजा दिलवा दी गई।
डा.जगन्नाथ मिश्र और विजय कुमार मिश्र ने कोर्ट मंे बयान दिए कि ललित बाबू का आनंदमार्गियों से कोई झगड़ा नहीं था।
अब आप ही बताइए कि सौ साल के बाद आने वाली पीढ़ी जब दोनों बातें पढ़ेगी तो किस नतीजे पर पहुंचेगी ?
2.-करीब दस साल पहले समझौता एक्सप्रेस कांड हुआ।पुलिस ने अजमत अली नामक एक पाकिस्तानी नागरिक को पकड़ा।
उसने अपना गुनाह भी कबूल किया।
पर ऊपरी दबाव में अजमत को रिहा करके असीमानंद को पकड़ लिया गया।
कुछ लेखक कहते हैं कि अजमत दोषी है।कुछ अन्य लेखक कहते हैं कि असीमानंद।सौ साल बाद की हमारी पीढ़ी किस नतीजे पर पहुंचेगी ?
3.-मोतीलाल नेहरू पेपर्स के आधार पर कुछ लोग लिख रहे हैं कि भारत की राजनीति में वंशवाद की शुरूआत मोतीलाल ने की।उन्होंने गांधी को लगातार तीन पत्र लिख कर अपनी जगह अपने पुत्र को 1929 में कांग्रेस अध्यक्ष बनवा दिया।
पर एक लेखक की किताब के अनुसार भारत की राजनीति में वंशवाद की शुरूआत सिंधिया परिवार ने की।
अब सौ साल बाद की पीढ़ी किसे सच मानेगी ?
अंत में
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ताजा इतिहास को लेकर तो विभिन्न लेखकों ने इतना कंफ्यूजन फैला रखा है।
कल्पना कीजिए कि मध्य काल के भारत का जो इतिहास उपलब्ध हैं,उसके साथ क्या-क्या किया गया होगा !!!
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