मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

   गिरिराज सिंह का बयान अनावश्यक
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‘तीन हाथ कब्र‘ को लेकर गिरिराज सिंह का हाल का बयान 
न सिर्फ आपत्तिजनक है,बल्कि अनावश्यक भी है।
अल्पसंख्यकों के बीच के अतिवादियों को जवाब देने तथा समाज में ध्रुवीकरण करके उसका राजनीतिक लाभ उठाने के लिए ऐसे बयान दिए जाते हैं।ऐसे बयान दोनों पक्षों के लोग यदाकदा देते रहते हैं।
कुछ लोग इसे पसंद भी करते हैं।
  पर, शायद गिरिराज सिंह को  सरजमीन की हकीकत का पता नहीं है।
मोदी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक और आम लोगों के लिए आर्थिक लाभ के काम करके अन्य तरह का ध्रुवीकरण पहले ही करा दिया है।
उसका चुनावी लाभ गिरिराज सिंह को भी मिलेगा।उसके लिए खुद गिरिराज सिंह  को कोई मानसिक कसरत करने की जरूरत नहीं है।
   यदि कोई समुदाय सिर्फ खुदा की ही बंदगी करना चाहता है तो उसमें किसी को कोई एतराज नहीं होना चाहिए।
जब तक राष्ट्र की सुरक्षा के खिलाफ कोई व्यक्ति कुछ नहीं करता है तब तक वह 
इस देश का सम्मानित नागरिक है जैसा अन्य लोग हैं।
  सर्जिकल स्ट्राइक से भी कोई धार्मिक आधार पर धु्रवीकरण नहीं हुआ है।हालांकि इसकी कोशिश मोदी विरोधियों ने परोक्ष रूप से खूब की है।
  सर्जिकल स्ट्राइक से उसी तरह की खुशी देशवासियों में है जिस तरह की खुशी लोगों को 1965 और 1971 के युद्ध में विजय के बाद मिली है।तब तो किसी ने यह नहीं कहा कि उस समय की सरकारें ‘हिन्दू राष्ट्रवाद’ की ओर बढ़ रही है।
राजग खास कर मोदी को सर्जिकल स्ट्राइक का चुनावी लाभ मिलना ही मिलना है।उस पर सवाल उठाकर प्रतिपक्ष ने मोदी के लाभ में इजाफा ही कर दिया है।
   बिहार के गांवों में मिल रही जानकारियों के अनुसार मोदी सरकार के कुछ आर्थिक कदमों से वैसे अल्पसंख्यक भी खुश हैं जो सदियों से हिन्दुओं के साथ भाई -भाई की तरह रहते आए हैं।
हां, कुछ मुल्लाआंे और जो लोग उनके प्रभाव में हैं उनकी बात अलग है।
 ऐसे में गिरिराज सिंह के ताजा बयान की कोई जरूरत नहीं थी।
हर वर्ग के लोग बिजली, गैस, किसान सम्मान योजना तथा इस तरह के अन्य कल्याणकारी कामों से खुश हैं।
 सबसे बड़ी बात कि पैसे सीधे लोगों के बैंक खातों  में आ रहे हैं।
 जो लोग राजग को वोट नहीं भी देंगे,वे लोग भी आम तौर पर इस चुनाव में  तनाव पैदा नहीं कर रहे हैं।पहले के चुनावों में तनाव रहता था।
उन आर्थिक लाभों से वे मुलायम हो गए हैं।ऐसे में देश के भले में यह बात होगी कि गिरिराज सिंह जैसे नेता खुद पर संयम रखें। 
उनके राजनीतिक विरोधी जो कर रहे हैं,उसका खामियाजा वे भुगतेंगे ही।सत्ताधारी दल की जिम्मेदारी अधिक होती है।

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