-1952 के चुनावी दृश्य की एक झलक-
समाजवादी नेता व लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी ने 1952 के चुनाव पर वैसे तो विस्तार से लिखा है, पर फिलहाल उनमें से उनके कुछ वाक्य यहां प्रस्तुत हैं ।
‘कांग्रेस का समर्थन दो ही तबके कर रहे हैं-हिन्दुओं में वे लोग ,जो बड़े जमीन्दार हैं और अंग्रेजों के राज में अमन सभा में थे।इसी गांव को देखिए।यहां के जुल्मी जमीन्दार के तहसीलदार और अमले कांग्रेस के कार्यकत्र्ता बने हुए हैं और वे लाठी से हांक कर कांग्रेस को वोट दिलाना चाहते हैं।’
‘........भोर होते ही बाबू लोग गरीबों को घर -घर घूम कर धमकाने लगे कि तुम लोग वोट देने नहीं जाओ-यदि जाओगे तो देख लेना।बुरी से बुरी धमकियां -गन्दी से गन्दी गालियां।’
@-कानोंकान से@
समाजवादी नेता व लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी ने 1952 के चुनाव पर वैसे तो विस्तार से लिखा है, पर फिलहाल उनमें से उनके कुछ वाक्य यहां प्रस्तुत हैं ।
‘कांग्रेस का समर्थन दो ही तबके कर रहे हैं-हिन्दुओं में वे लोग ,जो बड़े जमीन्दार हैं और अंग्रेजों के राज में अमन सभा में थे।इसी गांव को देखिए।यहां के जुल्मी जमीन्दार के तहसीलदार और अमले कांग्रेस के कार्यकत्र्ता बने हुए हैं और वे लाठी से हांक कर कांग्रेस को वोट दिलाना चाहते हैं।’
‘........भोर होते ही बाबू लोग गरीबों को घर -घर घूम कर धमकाने लगे कि तुम लोग वोट देने नहीं जाओ-यदि जाओगे तो देख लेना।बुरी से बुरी धमकियां -गन्दी से गन्दी गालियां।’
@-कानोंकान से@
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