शनिवार, 20 अप्रैल 2019

 30 सितंबर, 2001 को बोस्टन के एक अखबार में न्यूज एजेंसी एएफपी की एक खबर छपी ।
खबर के अनुसार भारत का एक नेता बोस्टन हवाई अड्डे पर 
रोक रखा गया ।क्योंकि उसके पास प्रतिबंधित नशीली 
पदार्थ और हिसाब से अधिक  कैश पाए गए।
बताया गया कि वह  भारत के एक बड़े राजनीतिक घराने से है।
  बाद में अमरीका स्थित भारतीय राजदूत के हस्तक्षेप से उसे छोड़ दिया गया।
 उस खबर की फोटोकाॅपी किसी ने आज मुझे भेजी है।
उसमें उस राजनीतिक परिवार को संकेत से इंगित भी किया गया है।पर, मैं कोई अनुमान नहीं लगा रहा हूं।शायद मेरा अनुमान गलत निकले ! आप भी मत लगाइएगा।
जानते भी हों तो चुप ही रहिएगा।
मैं तो सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं कि हमारे देश के जो थोड़े से नेता गण प्रतिबंधित नशीला पदार्थ लेते हैं, वे वह काम भारत में तो कर ही रहे हैं।यहां कानून ढीला -ढाला है।
यहां सब चलता है।
ऊपर से इस देश में किसी बड़े नेता को छेड़ना कानून के तथाकथित लंबे हाथ के लिए आसान काम है नहीं।
यह सब काम विदेशी धरती पर करने  से इस देश की बड़ी बदनामी होती है।
फिर यहां के प्रधान मंत्री या विदेश मंत्री को हस्तक्षेप करके छुड़वाना पड़ता है।यहां के अखबारों में वह खबर दबवानी पड़ती है।
वह सब अलग से शर्मनाक स्थिति है।अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों में कानून का शासन है।वहां कानून की गिरफ्त से किसी को बचा लेने में बड़ी परेशानी होती है।
कल्पना कीजिए कि 2001 में इस देश के प्रधान मंत्री या विदेश मंत्री को भी न जाने अमेरिका में किस -किस से अनुनय-विनय करना  पड़ा होगा,उस नेता जी को बाइज्जत छुड़वा लेने के लिए !  


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