मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

इलेक्शन रेफरेंस
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जेपी की धमकी के बाद 
एकजुट हो गए चार दल
   --सुरेंद्र किशोर--
 आपातकाल की जेल यातना सहने के बावजूद कुछ प्रतिपक्षी दल एकजुट होने को तैयार नहीं थे।
  18 जनवरी 1977 को प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने जब अचानक नए चुनाव की घोषणा कर दी तो प्रतिपक्षी दल चुनाव की अधूरी तैयारी को लेकर चिंतित हो गए।
जयप्रकाश नारायण ने  कहा कि आप सब मिलकर एक दल बना लीजिए।
इस पर कुछ प्रतिपक्षी नेता आनाकानी करने लगे।
  जेपी ने कह दिया कि तो फिर अब आंदोलन की नई पार्टी बनेगी।
तुरंत गैर कांग्रेसी दल रास्ते पर आ गए।
उन्होंने  सप्ताह के भीतर मोरारजी देसाई की अध्यक्षता में जनता पार्टी बना ली।
 जल्दीबाजी में चूंकि चुनाव चिन्ह  नहीं मिल सकता था,इसलिए जनता पार्टी ने भारतीय लोक दल के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा।
23 जनवरी, 1977 से नई पार्टी ने काम करना शुरू कर दिया।
भारतीय जनसंघ,संगठन कांग्रेस,भारतीय लोकदल और सोशलिस्ट पार्टी को मिलाकर जनता पार्टी बनी थी।
इस पार्टी में चंद्र शेखर  जैसे पूर्व कांग्रेसी नेता
भी शामिल हुए जिन्हें जेपी का साथ देने के कारण इमरजेंसी में जेल जाना पड़ा था।
  यानी, इमरजेंसी वाली सरकार का मुकाबला करने के लिए तो उन दिनों चार-चार  दलों ने  आपस में विलयन कर लिया,पर आज जो नेता अघोषित इमरजेंसी लगाने का मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं,वे सही ढंग से आपस में चुनावी तालमेल भी करने को तैयार नहीं हुए ।व्यक्तिगत  महत्वाकांक्षा जो न कराए !
  1977 में तत्कालीन सरकार के खिलाफ लोगों में जिस तरह का गुस्सा था,वैसा गुस्सा आज नहीं है।साथ ही, प्रतिपक्ष के पास  जेपी जैसा नेता भी नहीं है।इसीलिए  प्रतिपक्ष बिखरा- बिखरा है।
2019 के लोक सभा चुनाव का नतीजा जो भी हो,पर 1977 के लोक सभा चुनाव के बाद तो पहली बार कांग्रेस से केंद्र की सत्ता छिन गई थी।
@दैनिक भास्कर-पटना-22 अप्रैल 2019@ 

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